|ए.सं.|21 जून 2013|
वैसे तो पूरा बिहार अफसरशाही के चंगुल में हैं और आम
आदमी की ऐसी दुर्गति शायद पहले कभी न हुई हो, पर मधेपुरा जिला की बात ही निराली है.
बिहार सरकार के लगभग तमाम कार्यालयों में रिश्वतखोरी का नंगा खेल चल रहा है और अफसर
नए रंगदार के रूप में सामने आ चुके हैं. इनके कर्मचारियों के तेवर भी कम नहीं हैं और
इनकी अर्जित संपत्ति इनकी नीचता की दास्ताँ कह रही है.
प्रखंड के
बीडीओ और सीओ पर लगातार मुक़दमे हो रहे हैं और कुछ तो जेल भी जा रहे हैं. पर इनके गंदे
हौसले कम होते नहीं नजर आ रहे हैं. ताजा घटनाक्रम में मधेपुरा के जिलाधिकारी ने एक
सख्त कदम उठाते हुए पांच बीडीओ और पांच सीओ के वेतन पर रोक लगा दी है. बताया जा रहा
है कि कुछ दिन पूर्व जिले के सभी बीडीओ और
सीओ को प्रखंड और अंचल का अपडेट रोकड़ बही लेकर आने को कहा था, पर शायद घूस का हिसाब
नहीं हो पाने के कारण इन रोकड़ बही को अद्यतन नहीं किया जा सका था, इसलिए निर्भीक बीडीओ
और सीओ ने डीएम तक को रोकड़ बही दिखाना मुनासिब नहीं समझा. इस बात पर जांच बिठाई गई
और तत्काल दोषी पाकर मुरलीगंज,
शंकरपुर, घैलाढ़, कुमारखंड और गम्हरिया के बीडीओ तथा कुमारखंड, शंकरपुर,
सिंहेश्वर, घैलाढ़ और मधेपुरा के सीओ का वेतन अगले आदेश तक रोक
दिया गया है.
यही नहीं
लापरवाही में लिप्त इन प्रखंडों के प्रधान सहायक और नाजीर के भी वेतन पर रोक लगा दी
गई है.
अब देखना
है कि जिलाधिकारी उपेन्द्र कुमार की सख्ती के बाद भी प्रखंड स्तर पर घूसखोरी और हरामखोरी
में कमी आ पाती है या नहीं.
लूट की दास्ताँ कह रही है 5 बीडीओ तथा 5 सीओ के वेतन पर रोक ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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June 21, 2013
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