|वि० सं०| 28 मई 2013|
कहते हैं पशु और मनुष्य में सबसे बड़ा फर्क दूसरे का
सामजिक होना है. अरस्तू के कहे वक्तव्य ‘मनुष्य एक सामजिक प्राणी है’ तो शहरीकरण और मनुष्य की स्वार्थसिद्धि के चलते आज लागू
नहीं दिख रहे, पर मधेपुरा पुलिस के कमांडो दस्ते ने कई मौकों पर मानवता दिखाकर यह
दिखा दिया है कि पुलिस सिर्फ लोगों की सुरक्षा ही नहीं करती बल्कि उनसे भावनात्मक
रूप से भी जुड़ सकती है.
देखा
जाय तो मधेपुरा शहर की सुरक्षा में यहाँ के कमांडो दस्ते की अहम भूमिका है. धूप हो
या बारिश रायफल के साथ मोटरसायकिल पर घूमते इन कमांडो दस्ते को देख अपराधियों के
हौसले पस्त नजर आते हैं. जहाँ ये खबर मिलते ही घटनास्थल पर पहुँच कर अपराधियों को
दबोच लेते हैं वहीं ये पीडितों की मदद भी इस तरह करते नजर आते हैं मानो उनके
परिवार के सदस्य हों.
विपिन
कुमार के नेतृत्व में इन कमांडो दस्ते में चार कमांडो और चार अन्य सिपाही हैं.
हालांकि ईमानदारी पूर्वक इनके द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना पुलिस के अन्य
लोग कम ही करते हैं और कई बार तो इनकी सूचना और मिहनत पर अपराध के उदभेदन का श्रेय
दारोगा स्तर के लोग लेकर चले जाते हैं.
सिर्फ सुरक्षा ही नहीं सामाजिकता भी निभा रही कमांडो टीम
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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May 28, 2013
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