"एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला"

|राजीव रंजन|22 मई 2013|
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर 
पूर्ण निकालूँगा हाला,

एक पाँव से साकी बनकर 
नाचूँगा लेकर प्याला,

जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर 
कब का वार चुका,

आज निछावर कर दूंगा मैं 
तुझ पर जग की मधुशाला.

प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की उक्त पंक्तियाँ वैसे तो पूरे बिहार में इन दिनों सार्थक हो रही हैं, पर आज मधेपुरा में दो शराबियों के द्वारा मचाये गए उत्पात अस्पताल कर्मियों और पुलिस की नाकों में दम पैदा कर गया. मजरहट सबेला के टाइल्स मिस्त्री मो० उसमान और उसी के सहयोगी मुकेश नाम के दो व्यक्तियों ने आज दारू पीकर मधेपुरा शहर में ऐसा तांडव मचाया कि वे लोगों के मनोरंजन का केन्द्र बन गए.
      पुलिस को जब इनके नौटंकी की खबर मिली तो उन्होंने दोनों पियक्कड़ों को अस्पताल लेकर टेस्ट कराने के लिए पहुंचाया. दोनों की नौटंकी वहाँ भी जारी रही. एक ने जब उलटी करनी शुरू कर दी तो लोग हैरान रह गए क्योंकि उल्टी में निकली शराब की मात्रा कई बोतल की थी. यही हाल दोनों का मधेपुरा थाना परिसर पर भी रहा. कभी फिल्मी डायलॉग तो कभी झूमकर उनका नाचना लोगों को ख़ासा मनोरंजन दे गया.
      सुशासन में शराब की दुकानें गली-गली खुल जाने की वजह से अब दौर-ए-शराब चरम पर है और जाहिर सी बात है शराबियों के पीने की वजह के पीछे अपने तर्क हैं और कई समझदार शराबी तो यहाँ तक कह जाते हैं कि खूब दारू पीकर वे सरकार के खजाने को समृद्ध कर रहे हैं ताकि उनके पैसे से सूबे का विकास हो सके.
"एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला" "एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला" Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 22, 2013 Rating: 5

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