शराब के नशे में थे धुत्त: बोलेरो धक्का मारकर चलता बना

 |राजीव रंजन| 28 मई 2013|
यम आएगा साकी बनकर 
साथ लिए काली हाला,

पी न होश में फिर आएगा 
सुरा-विसुध यह मतवाला,

यह अंतिम बेहोशी, अंतिम साकी, 
अंतिम प्याला है,

पथिक प्यार से पीना इसको, 
फिर न मिलेगी मधुशाला.

महाकवि स्व० हरिवंशराय बच्चन की पंक्तियों को याद करते हुए मानिकपुर भर्राही के शिबू कामत नशे में धुत्त मधेपुरा जिला मुख्यालय के बाय पास रोड में पैदल ही जा रहे थे कि अचानक तेज गुजरती बोलेरो यम बनकर आया और फिर शिबू कामत खून से लथपथ सड़क पर चित. जैसा अक्सर होता है पब्लिक की भीड़ तो लगी पर सब मानो सिनेमा के दर्शक. शुक्र था किसी ने कमांडो टीम को फोन कर दिया और मिनटों में दुर्घटनास्थल दूरभाष केन्द्र के सामने पहुंची कमांडो टीम ने स्वर्गीय जगदीश कामत के पुत्र को स्वर्गीय होने से बचा लिया. सदर अस्पताल में न सिर्फ कमांडो टीम ने उसका इलाज कराया बल्कि उसे उसके घर मानिकपुर भी भेज दिया. अत्यधिक खून बहने के बावजूद नशे में रहने के कारण शिबू मुम्बई और दिल्ली के अपने संस्मरण सुनाते रहे और लोग उनकी ऐसी हालत के बाद भी उनकी बातें सुन मुस्कुराते रहे.
      जो भी हो पथिक ने बड़े ही प्यार से प्याला ग्रहण किया था सो यम भी आये और चले गए.
शराब के नशे में थे धुत्त: बोलेरो धक्का मारकर चलता बना शराब के नशे में थे धुत्त: बोलेरो धक्का मारकर चलता बना Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 28, 2013 Rating: 5

4 comments:

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  3. सर मैं कुछ अपना विचार रखना चाहूँगा जो सभी माता पिता के लिए है और मैं चाहूँगा की मेरे इस विचार पर आपके द्वारा भी ज़रा पढ़ा जाय मेरे लिए काफी ख़ुशी की बात होगी क्योंकि मैं आपका बहुत बड़ा फेन हूँ और सर सिर्फ पढ़ें ही नहीं जरा विचारा भी जाय की मेरी सोच कहाँ तक सही है या गलत.
    दरअसल मैं ये कहना चाहता हूँ की हमारे समाज में बलात्कार जैसे पाशविक व्यवहार के अलावे भी ढेर सारे अमानवीय कुकृत्य देखने को मिलता है जैसे - लड़की को देख कर उसे छेड़ देना,या देख कर सिटी मार देना etc और इन सभी मीटर मेटर में सिर्फ लड़कों को ही दोषी करार दिया जाता है.सर मैं अपना तर्क देना चाहूँगा की आज से दस साल पहले इतनी धांधली कहाँ होती थी फिर आज ये क्या हो गया?.......मैं बताता हूँ सर क्या हो गया आज के युवा वर्ग वेस्टर्न हो गए हैं कुछ ज्यदें मॉडर्न हो गए हैं आश्चर्य की बात तो ये है की पेरेंट्स भी आधुनिक हो गए है.
    आज की लड़कियां जिस तरह की कपडा पहनती है मैं उसे सिर्फ देखता ही रह जाता हूँ गलत नहीं समझीयेगा सर.सर एक शब्द है उत्तेजना ये वो शब्द है सर जहाँ से प्राणी के अन्दर का हवस जागता है.मैं सभी लोगो से पूछना कहता हूँ ये हवस जगाने का श्रेय किसे जाता है लड़का या लड़की को. माँ बाप क्यों इस तरह के कपडे पहने का आदेश अपने संतान को देता है जो हमारी संस्कार संस्कृति को धूमिल कर दे . नहीं सर मैं लड़की के पहनावे का खिलाफ हूँ. एक भाषण के दौरान हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा था की लड़कियों के पहनावे पर कमेन्ट करना गलत सोच है वो क्या पहनेगी वो अच्छी तरह जानती है.उनके जीने के तरीके में हमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.ठीक है मैं हस्तक्षेप नहीं करूँगा लेकिन वो कोई ऐसा वैसा कपडा ना पहने.
    मैं सभी लडकियों से कहना चाहता हूँ ख़ास कर मधेपुरा के लड़कियों से प्लीज भड़काऊ कपडा ना पहने इससे आपकी छवि अच्छा नहीं खराब होता है.
    please All Madhepurian girl pay your attention toward my suggetion
    (मेरा नाम राकेश रंजन है वर्तमान में मैं पार्वती कॉलेज में बी.ऐ पार्ट वन का स्टूडेंट हूँ इसी दस तारीख को मेरा एग्जाम है मेरा घर मधेपुरा से 3 किलोमीटर पश्चिम गणेश स्थान में है )

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