|ओमप्रकाश|19 मार्च 2013|
हवा से भी तेज गति है इनकी मानो सीरियल का शक्तिमान.
पलक झपकते ही हो जाते हैं गायब मानो रिश्ते में गोगिया सरकार के बाप लगते हों. पुलिस
से तेज दौड़ते हैं ये तभी तो पुलिस कि पकड़ में नहीं आ पाते हैं. मधेपुरा के कागजी
विकास में इनके महत्वपूर्ण योगदान को नकारा नहीं जा सकता है. इन्हें ‘नकारा’ तो बिलकुल नहीं कहिये. जिले की
साक्षरता दर प्रशासान से कम इन जांबाजों से ज्यादा बढ़ी है. और जब इतने ‘क्वालिफाइड’ हैं ये..तो क्यों नहीं इन्हें
इन्हीं आधारों पर नौकरी ही दे दी जाय.
हम बात
कर रहे हैं मधेपुरा के इन धरोहरों यानी परीक्षा में चोरी करने वाले अभिभावकों की.
पिछले रिपोर्ट में हमने दो तरह के अभिभावकों के किस्म की चर्चा की थी. पहला जो
अधिक जवाबदेह होता है वो थोडा उम्रदराज और केन्द्र से दूरी बनाकर खड़ा रहता है ताकि
पुलिस के डंडे को देखकर उसे भागने की जरूरत न पड़े. दूसरा किस्म जो दौड़ कर चींट
पहुंचाता है वो शक्तिमान और गोगिया सरकार का रिलेटिव दिखता है.
इन्हें पुलिस में भर्ती कर लो, बड़े काम आयेंगे
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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March 19, 2013
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