मधेपुरा की लड़कियों के बीच नेताओं और पत्रकारों का
क्रेज काफी गिर गया लगता है. वहीं महिला थानाध्यक्ष के पद का जादू उनके सर चढ़कर
बोल रहा है. ये बाते पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान स्थानीय केशव कन्या गर्ल्स
हाई स्कूल की छात्राओं से पूछे जाने पर प्रकाश में आई है. कार्यक्रम में मौजूद
सैंकडों लड़कियों से जब यह पूछा गया कि नेता कौन सब बनना चाहती हैं तो एक भी हाथ
इसके समर्थन में नहीं उठा. यही हाल पत्रकार बनने के सवाल पर भी रहा.
वहीँ डीएम,
एसपी और डॉक्टर बनने के लिए काफी हाथ उठे. पर सबसे अधिक क्रेज लड़कियों में थानाध्यक्ष
बनने को लेकर दिखा. थानाध्यक्ष बनने की चाहत मधेपुरा की लड़कियों में सबसे अधिक दिखी.
अगर कारण
की तह में जाते हैं तो अधिकाँश लोग मानते हैं कि छेड़खानी और अत्यचार से त्रस्त महिलायें
चाहती हैं कि वे थानाध्यक्ष जैसे पद पर जाकर अपराधियों को सबक सिखाएं. पत्रकारों की
निष्पक्षता पर मन में संदेह पाल रही महिलाओं को अब पत्रकार नहीं भाते हैं और नेता का
क्या कहना. पूछने पर एक लड़की साफ़ शब्दों में कहती है, “घर बिगाड़े बेटा, देश बिगाड़े नेता.”
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नेता और पत्रकार नहीं बनना चाहती मधेपुरा की लड़कियां
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 25, 2013
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