वहशत के ये
घिनौने खेल
चलेंगे कब तक ..?
चलेंगे कब तक ..?
जो कानून हिफाज़त
कर न सके मासूमों की ..
कर न सके मासूमों की ..
उस "कागज के
ढेर" को
हम ढोते रहेंगे कब तक ..?
हम ढोते रहेंगे कब तक ..?
घर हो या बाहर
..कहीं भी
महफूज़ नही हम ..
महफूज़ नही हम ..
लड़की होने की ये
सजा
हम भुगतेंगे कब तक ..?
हम भुगतेंगे कब तक ..?
दहशत के साये में
हम
यूँ रहेंगे कब तक ..?
यूँ रहेंगे कब तक ..?
ये सवाल है उन
तबाह
जिंदगियों का सबसे ..
जिंदगियों का सबसे ..
लोग हाथ बांधे
खामोश
रहेंगे कब तक ..?
रहेंगे कब तक ..?
महिलाओं पर
अत्याचार
कभी ख़त्म नही होगा ..
कभी ख़त्म नही होगा ..
समाज वाले अपना
नजरिया
न बदलेंगे जब तक.
न बदलेंगे जब तक.
है जरूरत कि बेटियों को
अब "फौलाद" बनाएं ..
अब "फौलाद" बनाएं ..
नाज़ुक गुडिया बना
कर
उसे रखेंगे कब तक ..?
उसे रखेंगे कब तक ..?
--रचना भारतीय, मधेपुरा.
दहशत के साये में रहेंगे कब तक ?//रचना भारतीय
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 21, 2012
Rating:

nice work didi...
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