मैं कामना करती हूँ....///संतोष कुमार

नियोजित शिक्षकों के लिए बिहार सरकार की कामना
आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ.
नहीं है आप, सरकारी सेवक
नहीं होंगे आप, नियमित शिक्षक
रहना है तो रहिये, वर्ना घर जाइए
नहीं हो सकते हैं, प्रधानाध्यापक
नियमित, नियोजित कर फूट की भावना भरती हूँ.
आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ.
सड़कें बनेंगी, बनेगा इंदिरा आवास
महादलित बसेगा, होगा हमारे पास
नहीं बचता पैसा, लूट के अलावा
भीख मांगे शिक्षक या करे उपवास
जाति-जाति वोट की खातिर, 
फूट की कामना करती हूँ.
आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ.
आप शिक्षक हो, राष्ट्र निर्माता हो
पढ़ाते हो सबको, जो छूटा वह नेता हो
पढ़ने वाले जाने गुरु का मान-सम्मान
सरकार-अभिभावक को, क्यों वास्ता हो
शिक्षा नहीं, खिचड़ी-पोशाक की, भावना भरती हूँ.
आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ.
पढेंगे बच्चे, शिक्षित होगा समाज
जगेगी जनता, बंद होगा लूट का काज
साइकिल, पोशाक, खिचड़ी की लालच में
भूल गए बच्चे, शिक्षा का सरताज
बच्चे-अभिभावक में लूट की, भावना भरती हूँ.
आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ.
**संतोष कुमार, मधेपुरा.
(महत्वपूर्ण: ये कविता कवि की अपनी भावना है और ये मधेपुरा टाइम्स के विचार नहीं हैं)
मैं कामना करती हूँ....///संतोष कुमार मैं कामना करती हूँ....///संतोष कुमार Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 06, 2012 Rating: 5

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