इस अवसर पर
प्रतिवर्ष दिये जाने वाले ‘कवि
मथुरा प्रसाद गुंजन स्मृति सम्मान’ सह कवि सम्मेलन में कवियो की जोरदार भागीदारी रही और कवियों एवं शायरों ने
आयोजन को यादगार बना दिया।
वर्ष 2012 का कवि मथुरा प्रसाद गुंजन स्मृति सम्मान से कवि अरविन्द श्रीवास्तव को
सम्मानित करते हुए कहा गया कि - समकालीन कविता में यथार्थ व जीवन परक दृष्टि
के कवि अरविन्द श्रीवास्तव की कविताएं संवादहीनता को खारिज कर पाठकों से
सार्थक संवाद करती है, इनके
शब्द शोषण व सामाजिक अन्याय से अनवरत संघर्ष करते हैं... अरविन्द बिहार ही नहीं
हिन्दी काव्य के उज्जवल नक्षत्र हैं।
कवियों में कुमार विजय गुप्त, राकेश प्रियदर्शी, गणेश राज व सुशील साहिल.. सुशील ने कहा - ममता मेहनत व गुरवत
की / ऐसी और मिशाल कहाँ / बच्चा बांध पीठ पर / पत्थर तोड़ रही है माँ ।
उपस्थित कवियों ने अपनी कविता व शायरी के माध्यम से जीवन जगत के
संघर्ष की व्यथा कथा को उजागर किया। मुंगेर के शायर छंदराज, अनिरूद्ध सिन्हा, अशोक आलोक, विजय बरतनिया, सुबोध
छवि, गिरजा शंकर नवीन,
सतेन्द्र मिश्र आदि ने अपनी शायरी से
उपस्थित श्रोताओं को उद्वेलित किया, मनोरंजन किया। जामनगर, गुजरात
से आयी नूतन पन्ढ़ीर ने कहा - कोई जीता है अपनी खुशी के लिए, जी रहा है कोई उर्वशी के लिए..। कवि एस बी भारती की कविता की एक
बानगी - रोटी है गोल-गोल जो बनती है आटे से, तवे से तप कर आती है थाल में, सारा संसार कैद है रोटी के जाल में ! कवि प्रो. शब्बीर
हसन एवं राजीव कुमार सिंह ने कवि गुंजन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को स्मरण कर उन्हें नमन किया
एवं उपस्थित कवियों की कविता व शायरी पर अपने विचार व्यक्त किये। धन्यवाद
ज्ञापन कवि मथुरा प्रसाद गुंजन जी के पुत्र निर्मल जी ने किया।
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
‘कवि मथुरा प्रसाद गुंजन स्मृति सम्मान 2012’ से सम्मानित हुए अरविन्द
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 26, 2012
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