चले गए हुजूर अब डर काहे का. मधेपुरा के अधिकारी और
कर्मचारी इन दिनों कुछ ज्यादा ही लापरवाह हो चले हैं. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से
पहले जहाँ इनके दिल एक मिनट में 144 बार धड़का करते थे वहीँ अब धड़कन की रफ़्तार
सुकून देने वाली है.
नीतीश खुद की सभा को उपद्रव से
बचाने की जुगत में लगे रहे और उनके जाने के बाद किसी भी अधिकारी पर कोई गाज गिरने
की सूचना नहीं है जिससे अब अधिकारी बेख़ौफ़ हो चले हैं और जनता की समस्या पहले थी
चूल्हे में अब जाए भांड में.
बी.एन.मंडल स्टेडियम जहाँ
मुख्यमंत्री ने बड़ी सभा को संबोधित किया था की तरफ भी मुड़कर जिला प्रशासन नहीं
देखना चाहता है. मैदान की गंदगी बता रही है कि जिला प्रशासन सो रहा है. पूरे मैदान
में जूठे गिलास भरे पड़े हैं. गंदगी इतनी कि कुत्ते तथा अन्य जानवर भी यहाँ कुछ-कुछ
खोजते दिन भर नजर आ रहे हैं.
स्वच्छ हवा की तलाश में स्टेडियम
में ‘मॉर्निंग वाक’ करने वाले सैंकडों लोग इन दिनों
यहाँ से फेंफड़ों में बदबूदार हवा भर कर जाते हैं. प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल
रहे मधेपुरा के खिलाड़ी इन दिनों कार्यक्रम के जूठन पर खेलने को लाचार हैं. मधेपुरा
की कराटे क्वीन सोनी राज मधेपुरा टाइम्स को फोन कर पूछती है कि कैसे हम ऐसी गंदगी
में प्रैक्टिस कर पाएंगे ?
इन दिनों स्टेडियम का मैदान गंजेरियों और जुआरियों का भी अड्डा
बनता जा रहा है. शाम ढलते ही गँजेरी यहाँ ‘दम मारो दम मिट जाए गम’ के कार्यक्रम की सफलता की जुगाड़ में लग जाते हैं.
कार्यक्रम के दिन फेंके गए चप्पल तक प्रशासन के लोग उठाकर जेबों
में रख रहे थे और अब इन गंदगी को जब कोई साफ़ करने वाला नहीं हो तो अब जिला प्रशासन
पर ये कहावत अभी लागू बैठ रही है ‘जब रोम जल रहा था तब नीरो चैन की बंशी बजा रहा था.
सीएम के कार्यक्रम के जूठन पर खेलने को लाचार हैं मधेपुरा के खिलाड़ी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 12, 2012
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