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(फोटो: विपिन) |
नि० सं० /19/10/2012
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(फोटो: प्रभात) |
वैसे तो पूरे बिहार की स्थिति इस मामले में नाजुक है
पर कोसी की पुलिस शायद रिश्वतखोरी के बिना अनिंद्रा की बीमारी से ग्रस्त रहती है.
बड़े पुलिस अधिकारियों में तो आपको कई ईमानदार अधिकारी मिल जायेंगे जिनकी बदौलत ही
शायद कोसी में पुलिस विभाग चल रहा है पर सिपाही ग्रेड में इक्का-दुक्का को छोड़कर
सबों की हालत खस्ता है. सड़क पर ड्यूटी पर लगाये सिपाही तो दस-पांच रूपये वसूल करना
अपना अधिकार समझते हैं. लगभग पूरे बिहार में ये एक सिस्टम सा तैयार हो चुका है. नो
एंट्री जोन पर शायद पुलिस लगाये ही जाते हैं रिश्वतखोरी के लिए. ट्रक या बड़े वाहन
चालक बखूबी जानते हैं कि नो एंट्री जोन का मतलब है वहां खाकी वर्दी को दस-बीस
रूपये दो और काम बनाते चलो.
मधेपुरा
टाइम्स आपको दो तस्वीरें दिखा रही हैं जिनमे एक तस्वीर मधेपुरा शहर की है और दूसरी
सुपौल शहर की है. आप खुद देखिये खाकी वर्दी वालों की करतूत. एक तस्वीर में जहाँ एक
पुलिस वाला एक वाहन चालक से पैसे निकलवा रहा है वहीं दूसरी तस्वीर में पुलिस वाले
को आप वाहन चालक से रूपये लेते स्पष्ट देखेंगे.
कैमरे में कैद रिश्वत लेती पुलिस
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 19, 2012
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constables ko pura dosh dena galat hai..adhikari sahi hon toh juniors apne aaap sahi ho jayenge.
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