प्राकृतिक आपदा की मार खाए किसानों के लिए मुआवजे की
राशि पाना आसान नहीं है.सरकार के द्वारा इन्हें आश्वासन तो तुरंत मिल जाता है पर
मुआवजे लिए इन्हें जगह-जगह भटकना पड़ता है. 2011 के ओलावृष्टि पीड़ित किसानों को
काफी जद्दोजहद के बाद चेक तो मिला पर सरकारी खाते में पैसा नहीं रहने के कारण चेक
हुआ बाउंस.हालात ये है कि पीड़ित किसान
दर-दर की ठोकरें खाने के लिए विवश हैं.2011
की ओलावृष्टि के बाद राज्य की आपदा मंत्री रेणु कुशवाहा ने पीड़ित किसानों से मिलकर
उन्हें आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह के अंदर ही उन्हें सरकार की ओर से मुआवजा
मिला जाएगा.लेकिन उस आपदा को करीब एक साल हो चुके हैं, पर किसानों को मुआवजा नहीं
मिल सका.कुछ किसानों को चेक तो जरूर मिला पर सम्बंधित खाते में पैसा नहीं रहने के
कारण चेक बाउंस कर गया.मधेपुरा के डीएम का मानना है कि ये कोई बड़ा मामला नहीं है,
दूसरा चेक बनवा देंगे.पर शायद डीएम साहब का ध्यान शायद इस बात पर नहीं है कि चेक
बाउंस होने की स्थिति में खाताधारी के लिए सजा का भी प्रावधान है.जो भी हो, पीड़ित
किसान इसे अपने साथ धोखा हुआ मान रहे हैं.

मुआवजे का चेक हुआ बाउंस: किसानों के साथ धोखा?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 15, 2012
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