घोटाला: एफआईआर की खबर पाते ही गबन के रूपये किये जमा

कुमार अंगद/12 सितम्बर 2012
सूचना के अधिकार के अंतर्गत कार्यवाही के दरम्यान गबन की गयी सरकारी राशि की वसूली की घटना से सूचना अधिकार क़ानून को एक नया रंग भर दिया गया है.बेशक, यह देशभर की पहली घटना है जो सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर कार्यवाही के दरम्यान मधेपुरा में घटी है.
 ज्ञातव्य है कि प्रखंड विकास पदाधिकारी-सह-लोक सूचना पदाधिकारी, मधेपुरा से जनवरी 2010 में उक्त संवाददाता ने सूचना के अधिकार के तहत प्रखंड अंतर्गत SGRY योजना सं.100/2005-06 के बाबत सूचनाएं मांगी थी.काफी जद्दोजहद के बाद राज्य सूचना आयोग के निर्देश के उपरान्त प्रखंड विकास पदाधिकारी-सह-लोक सूचना पदाधिकारी मधेपुरा ने अपने पत्रांक 999-2 दिनांक 14-09-2011 के जरिये जो सूचनाएं दी हैं वो चौंकाने वाले हैं.यह चार लाख रूपये के गबन को सीधे तौर पर उजागर करता है और लगभग दस लाख रूपये के संदेहास्पद व्यय को भी दिखाता है.
     उल्लेखनीय है कि योजना संख्यां 100/2005-06 जो मधेपुरा प्रखंड अंतर्गत तुनियाही गाँव में तुनियाही धोबीघाट पुल के पास के कटाव निरोधक कार्य से सम्बंधित है और इस कार्य की प्राक्कलित राशि मो० 24,98,600/- रू० है.प्राक्कलन के विरूद्ध मो० 14,07,500/- रू० जहाँ योजना कार्य पर व्यय किये गए वहीं मापी पुस्त की राशि मो० 10,02,213/- रू० दर्शाया गया है.ऐसी स्थिति में मो० 4,05,287/- रू० का कार्यकारी एजेंसी तत्कालीन कनीय अभियंता सोहन कुमार सिंह द्वारा सीधे तौर पर गबन किया गया है, वहीं सामग्रियों की आपूर्ति से सम्बंधित भाउचार की प्राप्ति किये बगैर ही अभिश्रव को पारित कर 10,02,213/-रू० का व्यय पूर्णतया संदेहास्पद है, क्योंकि उक्त पारित हैंड रिसिप्ट पर कैश बुक वाउचर नंबर दर्ज नहीं है.
    गौरबतलब है कि एसजीआरवाई के उक्त योजना कार्य के निरीक्षण की सम्पूर्ण जवाबदेही निर्मल कुमार, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता एवं नवीन कुमार सिंह, सहायक अभियंता, एनआरईपी, मधेपुरा की थी और इनके द्वारा प्रेषित निरीक्षण प्रतिवेदन के आधार पर कार्यों के किये जाने की वास्तविकता का मूल्यांकन कर भुगतान की सम्पूर्ण जवाबदेही तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष कुमार की थी.
    हैरत की बात तो यह है कि वर्ष 2005-06 से अब तक कई प्रखंड विकास पदाधिकारी यहाँ पदस्थापित हुए और चले भी गए.लेकिन किसी ने भी इस संचिका का अवलोकन कर कार्यवाही की दिशा में कदम नहीं उठाया.परन्तु जब आरटीआई के तहत प्राप्त सूचनाओं के आधार पर मामले को पुलिस कप्तान सौरभ कुमार शाह के समक्ष प्रस्तुत किया गया तो उनके निर्देश पर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, मधेपुरा विजय कुमार ने सम्पूर्ण मामले की तहकीकात के उपरान्त प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया और तदोपरांत प्राथमिकी दर्ज होने की खबर सुनते ही सीधे तौर पर गबन की गयी राशि मो० 4,00,000/- रूपये आरोपी अभियुक्तों के द्वारा जमा कर दिया गया है.एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद गबन की राशि अभियुक्त पक्ष द्वारा जमा कर दिए जाने की यह घटना देश भर की पहली घटना है.फिलहाल मधेपुरा पुलिस मामले की गहराई से जांच-पड़ताल कर रही है.
घोटाला: एफआईआर की खबर पाते ही गबन के रूपये किये जमा घोटाला: एफआईआर की खबर पाते ही गबन के रूपये किये जमा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 12, 2012 Rating: 5

4 comments:

  1. मधेपुरा टाइमस के माध्यम से अंगद जी को धन्यवाद !काजल का टिका लगाने का मन करता है संपादक महोदय को !जीते सभी अपने लिए है समाज के लिए जीना देश की सेवा के सामान है !

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  2. कलम यदि सार्थक भूमिका निभाए तो अंततः समाज का ही भला होता है !सलाम है उस वीर को जिसने अफसर और दबंग पूंजीपति के खिलाफ आवाज़ उठाई !मधेपुरा टाइम्स को कोटि- कोटि धन्यवाद

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  3. chandrashekhar kumarWednesday, 12 September, 2012

    Madhepura Times Editorial Board thanks! Every news Keeping in mind the interests and the public interest is published! Chandra Kumar

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  4. Madhepura times se request hai ki apne website ka link CM aur vigilance department ko jaroor bhejein.. No doubt ki Bihar sarkar pro development hai ..lekin iske sath bahot paisa aa raha aur saath hi corruption bhi badhta ja raha hai..

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