गरीबी में लुट रही महिलाओं की आबरू

सुखनीदेवी के साथ हुआ दुष्कर्म
अधिकारियों के सामने इस तरह के आते मामले उनके लिए दैनिक क्रियाकलापों का हिस्सा हो सकते हैं पर देखा जाय तो ये मामले समाज को पूरी तरह कलंकित तो कर ही रहे हैं साथ ही सामजिक मान्यताएं भी तार-तार हो रहे हैं.गरीबी के कारण पति कमाने पंजाब या बाहर क्या जाते हैं समाज के कुछ कुकर्मियों की कुदृष्टि उनके घर की महिलाओं की ओर पड़ जाती है.कभी-कभी तो ये कुकर्मी उन्हें बहलाने-फुसलाने का काम करते है और कभी जब ये बहलाने में कामयाब नहीं हो पाते तो फिर जबरन शारीरिक सम्बन्ध बनाने पर भी उतारू हो जाते हैं.वो ये जानते हैं कि इसे बचाने में सबसे महत्वपूर्ण इसका पति अभी नही आएगा.जबरन सम्बन्ध बनाने के बाद ये शख्स महिलाओं को सामजिक इज्जत बर्बाद होने की दुहाई देकर इनका मुंह बंद करने की कोशिश करते हैं.
   मामला नेहालपट्टी की किरण का हो या फिर हथिऔंधा की सुखनी देवी का हो.दोनों ही मामले में पति कमाने पंजाब गया हुआ है.किरण के साथ बगल के दबंगों ने मारपीट तो की ही साथ ही कपड़े फाड़कर अर्धनग्न भी कर दिया.पर सुखनी देवी के साथ जो हुआ वो सभ्य समाज के मुंह पर एक बड़ा तमाचा है.बिहारीगंज थाना के हथिऔंधा की सुखनी देवी के साथ गांव के ही सामू मुखिया तथा बबलू मुखिया ने जबरन बलात्कार किया और जाते-जाते धमकी भी दी कि जहाँ जाना है जाओ, कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है.जिले में दुष्कर्मियों के मंसूबे इतने बुलंद होने के पीछे की बड़ी वजह है समाज के अन्य लोगों का ऐसे मामले में न पड़ना.पर कल को जब उनकी बहू-बेटी की इज्जत नीलाम होती है तो वे अफ़सोस करते हैं.कई मामलों में तो पुलिस की भूमिका इन कुकर्मियों से भी ज्यादा शर्मनाक होती है.दुष्कर्मियों से दस-पांच हजार रूपये लेकर ये मामले को दबाने का प्रयास करते हैं.कानूनी प्रक्रिया लंबी होने के कारण पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलने में देरी भी ऐसी घटनाओं की पुनरावृति में सहायक होती है.
      बिहार जैसे राज्य से मजदूरों का पंजाब आदि पलायन ये बताता है कि यहाँ रोजगार के उचित माहौल नहीं है.मनरेगा जैसी योजनाओं को चलाकर सरकार और प्रशासन अपनी पीठ भले ही
किरण के कपड़े फाड़े गए
थपथपा ले,पर हकीकत यही है कि इसका वाजिब लाभ गरीब मजदूरों को नहीं मिल रहा है वर्ना ये काम और अधिक पैसे की लोभ में बाहर पलायन नहीं करते.इसमें शायद ही कोई शक की बात है कि मनरेगा से जुड़े सरकारी और गैरसरकारी लोग इसे लूट रहे हैं.सरकार और प्रशासन भी इसमें जांच कमिटी बिठाकर लूट में अपना हिस्सा निर्धारित कर लेती है.ऐसे में सामाजिक संतुलन का बिगडना स्वाभाविक ही है.
    दुष्कर्म जैसे मामलों में जरूरत है समाज को सामने आने की और ऐसे समाज के कोढ़ का वहीं इलाज कर देने की,ताकि ये मामला न तो भ्रष्ट पुलिस के हाथ में न्याय (अन्याय) के वास्ते पहुंचे और न ही देश की कमजोर क़ानून की किताबों के तले महिलाओं की चीख गूंजती रहे.यकीन कीजिए यदि ऐसे मामलों का फैसला समाज कड़ाई से करने लगे तो ऐसी घटनाओं में निश्चित ही कमी आयेगी.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
गरीबी में लुट रही महिलाओं की आबरू गरीबी में लुट रही महिलाओं की आबरू Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 15, 2012 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.