रोगी के शरीर में चढ़ाने की बजाय गड्ढे में फेंका जाता है खून

 रूद्र ना० यादव/०८ मई २०१२
मधेपुरा सदर अस्पताल में २००९ में स्थापित ब्लड बैंक की लापरवाही ने सदर अस्पताल की विश्वसनीयता पर आज प्रश्नचिन्ह लग चुका है.लापरवाही ऐसी कि ९३ यूनिट ब्लड को गड्ढे में फेंक दिया गया.कहा गया कि ये ९३ यूनिट ब्लड खराब हो चुके थे.अस्पताल प्रशासन यहाँ जमा ब्लड के खराब होने का कारण ये बताते हैं कि प्राइवेट नर्सिंग होम उनके द्वारा जमा किये गए ब्लड को नहीं खरीदते हैं.पर स्थानीय लोग अस्पताल प्रशासन के बारे में कुछ और कहते हैं.इनका कहना है कि ब्लड बैंक बराबर बंद रहता है.ब्लड बैंक के कर्मचारी ब्लड के लिए आने वाले रोगी के परिजन से पैसा ऐंठने के लिए उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं और पैसा नहीं देने पर उन्हें उल्टा-सीधा कहकर भगा देते हैं.कुछ लोगों का ये भी कहना है कि ब्लड बैंक बंद रहने के कारण कभी-कभी मरीजों को सहरसा या अन्यत्र से भी ब्लड खरीद कर लाना पड़ता है.
    एक तरफ जहाँ खून के अभाव के कारण कई लोग मौत के शिकार हो जाते हैं वहीं  सदर अस्पताल मधेपुरा द्वारा ९३ यूनिट ब्लड खराब हो जाने के कारण गड्ढे में फेंक देना यह दर्शाता है कि सरकार के स्वास्थ्य सेवा में सुधार के दावे को मधेपुरा सदर अस्पताल गड्ढे में डालने के लिए काफी है.
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1 comment:

  1. sarkar ka koi bhi department kam thik se karta ho toh uska nam batayein..itni bad intjami hai sab jagah... koi responsibility nahi leta ... management naam ki koyi chiz hi nahi ha.

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