बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना के तहत संचालित महिला हेल्पलाइन जब मधेपुरा में १० अक्टूबर २००९ से काम करना शुरू किया तो पायल प्रकाश जिले में महिला हेल्पलाइन की पहली परियोजना प्रबंधक-सह-संरक्षण पदाधिकारी बनी.उस समय जिले में बहुत से लोगों के मन में संशय की स्थिति बनी हुई थी कि महिलाओं को उनकी समस्याओं से निजात दिलाने में ये संस्था कारगर हो पायेगी या नहीं.पर इसे पायल प्रकाश कि रणनीति का ही
नतीजा कहा जा सकता है कि आज महिला हेल्पलाइन मधेपुरा जिले में महिलाओं के विरूद्ध घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, बाल विवाह, भरण-पोषण, यौन शोषण, मानव व्यापार, द्वितीय विवाह जैसे मामलों को सुलझाने में एक अहम भूमिका निभा रहा है.


महिला हेल्पलाइन को सफल बनाने के लिए अपनी रणनीति के बारे में वे कहती हैं कि गाँव-गाँव में महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए वे जागरूकता कार्यक्रम चलाती हैं.जैसे नवोदय विद्यालय, गर्ल्स स्कूल या फिर सेविका-सहायिकाओं के बीच में इसके बारे में बताना ताकि जिले के अधिक से अधिक लोगों की पहुँच यहाँ तक हो सके.
अपने कैरियर को इसी क्षेत्र में संवार रही समाजशास्त्र तथा विधि से ग्रैजुएशन की हुई पायल प्रकाश कहती हैं महिलाओं की समाज में गिरती हुई स्थिति से वे क्षुब्ध रहा करती थी.ऐसे में मधेपुरा में जब महिला हेल्पलाइन कि शुरुआत हुई तो इन्हें लगा कि इस माध्यम से वे जिले की पीड़ित महिलाओं के लिए कुछ कर सकती हैं.और इसी जज्बे का नतीजा है कि आज जिले की बहुत सी पीड़ित महिलाओं की महिला हेल्पलाइन और पायल प्रकाश से काफी उम्मीदें जुड़ चुकी है.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
पायल प्रकाश: हेल्पलाइन के माध्यम से पीड़ित महिलाओं की बनी आवाज
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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May 08, 2012
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