नेता उवाच.....ये बात कुछ हजम नहीं हुई

राकेश सिंह/२२ मार्च २०१२
मौका था शताब्दी बिहार दिवस समारोह का.उदघाटन के समय मंचासीन थे जिले के आला अधिकारी, न्यायिक पदाधिकारी, स्वतंत्रता सेनानी और इनके साथ ही बिठा दिया गया कुछ सत्ता दल के चुने हुए नेताओं को.मंच पर भाषण के लिए भी इन्हें आमंत्रित कर दिया गया.वैसे तो बिहार शताब्दी दिवस के मौके पर बिहार का गुणगान होना ही चाहिए,पर कुछ ज्यादा ही गुणगान में कुछ नेताओं के शब्द लड़खड़ाते रहे.बीजेपी के एक नेता ने तो कहा कि भ्रष्टाचार आज जेल में है.जबकि इन्हें शायद ये नही मालूम कि अभी भी राज्य और जिले में भ्रष्टाचार से लड़ाई जारी ही है और इसकी एक बड़ी वजह राज्य में अधिकाँश नेताओं का भ्रष्ट होना ही है.उन्ही के मुख से यह मधुर वचन भी निकला कि बिहार शताब्दी समारोह में दीप जलाकर अपना-अपना घर जब उजाला कर लेंगे तो इसी से बिहार विकसित होगा,सम्मानित होगा और देश विकसित होगा.चलिए अब लोगों और सरकार को दीप जलाने के सिवा और कुछ करने की आवश्यकता नहीं रह गयी.जनता दल (यू) की एक महिला नेत्री ने तो कहा शिक्षा के क्षेत्र में अमान्य परिवर्तन हुआ है.हमारे बच्चे और बच्चियां शिक्षा में हिन्दुस्तान में ही नहीं,विश्व में प्रचंड फैलाने का काम अवश्य करेंगे.शरद यादव जो मधेपुरा के धरती-पुत्र कहे जाने योग्य हैं, हमेशा मधेपुरा के लिए चिंतित रहते हैं.यहाँ के लिए वे जो काम कर रहे हैं वो इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. इसी नेत्री ने डीएम को सलाह दी कि मधेपुरा का विकास कैसे हो इसके लिए वे चिंतित रहें.शायद इस नेत्री ने अभी दो-चार दिन पहले ही रेलवे को लेकर आंदोलन में इस धरतीपुत्र का गुणगान नहीं सुना था.
      पर इन नेताओं को सच का आईना दिखाने का काम किया अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा० रामलखन सिंह यादव ने. विद्वान न्यायाधीश ने कहा कि मधेपुरा का नाम देश के सौ पिछड़े तथा सौ उद्योगशून्य जिलों में आता है.उन्होंने कहा कि यहाँ की स्थिति कलंक का टीका है और ये कलंक का टीका मात्र भाषणबाजी और घर को रोशनी से सजाने से नहीं धुलने वाला है. इसपर आत्मचिंतन, मंथन और मनन करने का समय आज है.
नेता उवाच.....ये बात कुछ हजम नहीं हुई नेता उवाच.....ये बात कुछ हजम नहीं हुई Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 22, 2012 Rating: 5

2 comments:

  1. is desh ke netaon ke to ye lakshan hain...ki mauka dekho aur war krna shuru.........

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  2. madhepura ke neta ..wahan ke logon ko hi represent karte hain...hum log literate hain educated nahin hain..tabhi toh pan ki dukan pe khada admi khud ko sabse samajhdar mante hue bhasan deta rehta hai..

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