राकेश सिंह /१८ जनवरी २०१२
सूबे की सरकार भ्रष्टाचार को कम करने लिए जो भी प्रयास करें,पर तय है कि भ्रष्टाचार मुक्त बिहार का सपना देखने वालों को शायद सात जनम लेने पड़ जाएँ.पहले राज्य के विभिन्न मंत्रालयों में भ्रष्टाचार तो मिटे,तब ही जिले के कार्यालयों पर शिकंजा कसा जा सकता है.यदि अधिकारी स्तर पर भ्रष्टाचार मिट जाए तो कर्मचारी स्तर पर इसमें बड़ी कमी स्वत: आ जायेगी.
मधेपुरा जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी लूट मचा रखा है.अपने से ऊपर के पदाधिकारियों का खौफ उनके दिमाग से बहुत हद तक निकल चुका है.जिला के कर्मचारी हों या प्रखंड के, घूस मांगने में उनकी आत्मा लज्जित होने के बजाय गौरवान्वित होती है.कहते है कोई चीज जब हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो उसके अंत के लिए एक बड़े परिवर्तन की जरूरत आ पड़ती है.
आलमनगर प्रखंड के अधिकारी/कर्मचारी की घूसखोरी से तंग आकर वहां आमरण अनशन शुरू किया गया है.हाल में ही जनता दरबार में आलमनगर के भागीपुर की मीना देवी ने जब वहां के किरानी सुमन के खिलाफ इंदिरा आवास में घूस मांगने के आरोप लगाये थे तो जिलाधिकारी मिन्हाज आलम ने बीडीओ को फोन लगाकर सुमन के खिलाफ गुस्से का इजहार किया था.जिले में सुमन जैसे और भी शख्सियत हैं जिसने आम लोगों को परेशान कर रखा है.
कल न्यायालय में ही जहाँ आक्रोश में एक वकील की पिटाई हो गयी वहीँ जेल में बंद कैदियों ने तंग आकर एक पेशकार को न्यायालय कक्ष में ही चाकू मार देने की धमकी दे दी.
जाहिर है,जनाक्रोश फूट रहा है.बर्दाश्त की भी एक सीमा होती है.ये घटनाएं इस बात का इशारा कर रही है कि यदि कार्यालयों के भ्रष्टाचार में कमी नहीं आई तो हार कर पीड़ित हिंसा का सहारा लेने लगेंगे. और तब शायद कोई भी अधिकारी या कर्मचारी सुरक्षित नहीं रह पायेगा.
भ्रष्टाचार से ऊबकर हिंसा का सहारा लेने लगे हैं लोग
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 18, 2012
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bhrastachariyo ke khilap sabhi logo ko eksath milkar larai larni chahiye.
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