मुख्यमंत्री की योजना का शिक्षा अधिकारी कर रहे बेड़ा गर्क

वि० सं०/३० दिसंबर २०११
सुशासन में बालिकाओं को आगे बढाने के लिए सरकार सदैव प्रयत्नशील दिखती है.राज्य में योजनाएं इसलिए बनती है कि जिलों में अधिकारीगण उसे सफल बनाने में कोई कसर बाक़ी न रखे.पर जिले के अधिकारियों की लापरवाही से सरकार की बनाई योजनाओं का हो जाता है बंटाधार.लड़कियां को पढाई के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री ने बालिका प्रोत्साहन योजना बनाई.पर जिले में क्या इस योजना पर ढंग से काम किया जा रहा है? शायद नहीं! मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना के सम्बन्ध में जिलाधिकारी के पास आई शिकायत से तो ऐसा ही लगता है.
            जिले के ग्वालपाड़ा प्रखंड के मधुराम हाई स्कूल की लड़कियों ने मैट्रिक फर्स्ट डिवीजन से २०९९ में ही पास किया,पर अब २०११ बीतने जा रहे हैं और इनको मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन राशि दस हजार रूपये अब तक नहीं मिल पाई है.लड़कियों ने अपने अभिभावकों के साथ इसके लिए हर दरवाजा खटखटाया,पर किसी ने भी नहीं सुनी.हार कर जब ये जिलाधिकारी के पास गुहार लगाने पहुंची तो जिलाधिकारी के पूछने पर जिला के शिक्षा पदाधिकारी ने अंदाजा से बात को यह कहकर टालनी चाही कि २००९ में पैसा ही कम आया था.पर अगला सवाल जिलाधिकारी मिन्हाज आलम ने ही कर दिया कि कम पैसे से क्या मतलब है?आखिर सबको तो मिलना है,फिर बाक़ी क्यों नहीं मंगाया?इस पर शिक्षा अधिकारी कुछ भी स्पष्ट नहीं बोल पाए.
  जिले की कई योजनाओं को अधिकारियों की लापरवाही के कारण झटका लगा हुआ है.अक्सर ऐसा लगता है कि ये अधिकारी सिर्फ अपनी नौकरी को किसी तरह खींचे जा रही हैं,बस.इन्हें जनता की समस्याओं और उनकी सेवा से कम ही लेना देना है.
मुख्यमंत्री की योजना का शिक्षा अधिकारी कर रहे बेड़ा गर्क मुख्यमंत्री की योजना का शिक्षा अधिकारी कर रहे बेड़ा गर्क Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 30, 2011 Rating: 5

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