राकेश सिंह/२९ अक्टूबर २०११
दीपावली और छठ के बीच जिले में कहीं-कहीं एक और प्रथा मनाने का रिवाज है.हुरिआहा या हुरहाँ नामक इस प्रथा को मनाने वाले इसे बड़े ही रोमांच से मनाते हैं.दरअसल प्राचीन काल से चली आ रही इस प्रथा का उद्येश्य पशुओं की शारीरिक शक्ति जांच करना बताया जाता है.पर कालांतर में ये प्रथा विकृत ही होती चली गयी.सामान्य तौर पर हुरिआहा में भैंस और सूअर को लड़ाया जाता है.जाहिर सी बात है ये लड़ाई उसी तरह की होगी जैसी यदि खली के साथ किसी टीबी के मरीज को भिड़ा दिया जाय.कहाँ मजबूत सिंग वाला विशालकाय भैंस और कहाँ अदना सा सूअर.सूअर लड़ना नहीं चाहता पर लोग उसे घेरे रहते हैं और बाँध कर भैंस के सामने देकर भड़काते हैं.कुछ ही देर में भैंस सूअर को चीर-फाड़ देता है और लोगों की किलकारियां आपको ये सन्देश दे जाती है कि किस तरह इस समाज के लोग मानसिक दिवालियेपन का शिकार हैं.
जिले में कई जगह हुरिआहा की प्रथा अभी भी जिन्दा है.इसे गौर से देखने हम पहुंचे मुरलीगंज प्रखंड के नवटोल.खेत में लोगों की भीड़ जमा थी.एक बिलकुल छोटे से निरीह सूअर के बच्चे को लाठी से बाँध कर उसे भैंस के सामने दिया जा रहा था.हमने देखा कि लाठी से जबरन बांधने और एकाध बार घसीटने के बाद ही उस सूअर के बच्चे ने दम तोड़ दिया.यानी अब शुरू हुआ मरे हुए सूअर के बच्चे और जिन्दा मजबूत भैंस की लड़ाई ! सूअर के बच्चे को कभी भैंस के सिंग पर रख दिया जाता था तो कभी उसके शरीर पर.भैंस भी इन लोगों से बेहतर ही दिख रही थी जो उस मरे पर प्रहार करना नहीं चाह रही थी.फिर भी लोग किलकारियों के बीच उस भैंस को कभी-कभार प्रहार करते देख बल्लियों उछल रहे थे,मानो उनका बेटा आईएएस की परीक्षा पास कर गया हो.हमें कैमरे से वीडियो शूट करते देख उनका उत्साह चरम पर था.भैंस ने जब आनाकानी की तो अब उन्होंने नया निर्णय लिया और लड़ने के लिए गाय को बछड़े समेत ले आया.
हिन्दू धर्म में गाय को अत्यंत ही पूजनीय और माता समान माना गया है.गाय के शरीर पर मरे हुए सूअर को रखना निश्चय ही अत्यंत निंदनीय है.और वो भी ऐसा कृत्य हिंदुओं के द्वारा ही किया जाता है तो ये और भी शर्मनाक बात लगती है. हुरिआहा के इस गंदे खेल में फिर उस मरे हुए सूअर के बच्चे को गाय के सिंग और शरीर पर डालते रहे लोग और दर्शकों ने इस खेल का पूरा-पूरा मजा लिया.गाय ने सिंग से उस गंदगी को हटाने का प्रयास किया तो लोगों ने इसे लड़ाई का रूप समझ और भी उत्साहित दिखे.(पूरा वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें)
समाज में अभी भी बहुत सी कुरीतियाँ और प्रथाएं व्याप्त हैं जिनका कड़ा विरोध करने की आवश्यकता है.प्रशासन के साथ-साथ एनजीओ को भी ऐसी प्रथाओं को मिटाने के लिए आगे आना चाहिए,वर्ना इक्कीसवीं शताब्दी का भारत कभी विकसित नहीं कहा जा सकता है.
शर्मनाक! गाय के शरीर पर मरे हुए सूअर को डालते रहे लोग
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 29, 2011
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