राकेश सिंह/२४ अक्टूबर २०११
आज धनतेरस के दिन सुबह से भीड़ को देखकर व्यापारी जितना खुश हो रहे थे,दिन और शाम उन्हें निराशा दिखाता नजर आ रहा था.उम्मीद पर अचानक पानी फिरा और बिक्री सेंसेक्स की तरह धड़ाम होता नजर आया.पिछले साल की तुलना में व्यापारी निराश हैं.सुबह से जिस तरह बिक्री धीरे-धीरे बढ़ रही थी,उसे देखकर उम्मीद तो यही जगी थी कि इस बार कई सामानों की बिक्री पिछले रिकॉर्ड को तोड़ेगी.भीड़ तो मार्केट में शाम तक मौजूद थी,पर ये भीड़ ग्राहक नहीं बन सकी.भीड़ की वेवफाई ने व्यापारियों का दिल तोड़कर रख दिया है और अब वे कारणों पर समीक्षा में जुट गए हैं.विशेषज्ञों की भविष्यवाणी फ्लॉप रही और धनतेरस मंदी का शिकार हो गया.
आमतौर पर पिछले साल तक बर्तनों की दुकानों में देर शाम तक पैर रखने की जगह नहीं रहती थी,पर इस बार लोग कुछ ही देर में बर्तन खरीदकर चलते बन रहे थे.ज्वेलर्स कि दुकानों का भी हाल कुछ ऐसा ही नजर आया.कारण इनकी समझ से परे था.विशेषज्ञों का यह भी दावा हिलता नजर आया कि वाहनों की बिक्री इस बार सभी रिकॉर्डस् तोड़ देगी.जो बिक्री होनी थी,उसमे ज्यादा दिन में ही हो गयी.हीरो मोटरसायकिल शोरूम से शाम तक कुल १९८ मोटरसायकिल ही बिकने की खबर दी गयी, जबकि टारगेट ५५० का था. हाँ,तीन पहिया वाहनों की बिक्री ने धनतेरस की लाज बचाने का प्रयास जरूर किया,पर कुल मिलाकर वाहनों की बिक्री ने भी विक्रेताओं को निराश ही किया.पियाजियो टेम्पो के शो-रूम ‘ऑटो जोन’ के सभी बीस गाडियां तो बिक गयी,पर वाहनों के कई शो-रूम में गाडियां धरी ही रह गयीं.वैसे कुल मिलाकर वाहनों की बिक्री उम्मीद से भले कम हो,पर गत वर्ष की तुलना में ज्यादा होने की बात कही जा रही है.
कारण फिलहाल समीक्षा के दौर से गुजर रहा है,पर उपरी तौर पर ऐसा लग रहा है कि लोग विभिन्न कारणों से आज या तो पैसे खर्च करने में असमर्थ हुए हैं,या फिर बहुत से लोगों के घर में जरूरत की सभी सामान है ही,और अब वे धनतेरस के अवसर पर सामान खरीदने की जरूरत पर बल देना नहीं चाहते.
उम्मीद पर अचानक फिरा पानी,धनतेरस हुआ मंदी का शिकार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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October 24, 2011
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