मुझको कभी जगाए ये सारी-सारी रात
कभी निंदिया की आगोश में, हो तुमसे मुलाक़ात
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद
कभी चुभन तो कभी सपन है साजन तुम्हारी याद
है सबब उदासी का कभी तो कभी हँसी लब पर
कभी तुम्हारी आहट सुन लूँ पलकें मूंद कर
चन्चल हँसमुख हूँ बहुत, हर महफ़िल की जान
कभी मैं खुद को ढूँढ रही हूँ, खुद से हूँ अंजान
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद
कभी शूल तो कभी फूल है साजन तुम्हारी याद
आग कभी है, कभी सबा है
कभी है सहरा, कभी दरिया है
चाँद की ठंडक, है सूरज की जलन भी
है ये हक़ीक़त, मृगतृष्णा में मन भी ,
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद
कभी आस तो कभी प्यास है साजन तुम्हारी याद
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhWw0smlY3znkQqDPj4TcwID75EgG6sH2j4odg9DnQTHStooz3xOSj9DDcspiEG05rUh7tkBSHiDS1P9_8pj3jtqQuYqYYjgL1ZEjMu7W3emDSKHQ9Xr-LCld5z7Vwi56BIYQJWDr3n58K_/s1600/kavita.gif)
कभी शूल तो कभी फूल है साजन तुम्हारी याद
आग कभी है, कभी सबा है
कभी है सहरा, कभी दरिया है
चाँद की ठंडक, है सूरज की जलन भी
है ये हक़ीक़त, मृगतृष्णा में मन भी ,
जाने कितने रूप बदल कर आए तुम्हारी याद
कभी आस तो कभी प्यास है साजन तुम्हारी याद
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjNSs44xoSoukaDuQhe2byvjWFhSxmMXbEeKDfMTg-Ak1riIf2O87qq2C9pYO-ZEa9UqeOtKoLS-1MOJld2dTIPT_S7C5uCcJQVckTJP3vDw0jDv_ODMcQlTbz5MBfWqqsHXTtZMdkTve1T/s1600/shrddha.jpg)
--श्रद्दा जैन,सिंगापुर
साजन तुम्हारी याद
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 16, 2011
Rating:
![साजन तुम्हारी याद](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyA8KVLFDxiT8egsOUhWxZR5fDxr_1I9M35fIq5n-w5xJQnHWkR_V84ly8oCdsa8Rd8kAFR7yn6utiGmqXmtOYFMjrX7LGjCja0_-E-1pEFRHMBSqdB9JW4i2rwXHgfqUYpPul2n7_dBkQ/s72-c/I-Miss-you-37.jpg)
बहुत ही प्यारी रचना....
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