सुकेश राणा/२२ सितम्बर २०११
जिले के विभिन्न विद्यालयों में दी जाने वाली मुख्यमंत्री पोशाक योजना दलालों के चंगुल में फंस गया है.आलम यह है कि सरकार के निर्देश के बावजूद भी सैंकडों विद्यालय प्रशासन राशि के बदले पोशाक देने का काम कर रहे हैं.इस पूरी कारगुजारी में विद्यालय के शिक्षक के अलावे विद्यालय समिति की भी संलिप्तता सामने आई है.जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत वर्ग एक व दो के छात्र-छात्राओं को चार सौ रूपये,वर्ग तीन से पांच के छात्र-छात्राओं को पांच सौ रूपये तथा वर्ग छ: से आठ तक के छात्र-छात्राओं को सात सौ रूपये नगद राशि के रूप में देने के प्रावधान हैं.पर जिले के अधिकाँश विद्यालयों में वास्तविक स्थिति कुछ और ही बयां कर कर रहे हैं.ठीकेदार विद्यालय पहुँच कर प्रधान शिक्षक से लेकर सभी शिक्षकों को अपने विश्वास में लेकर राशि के बदले घटिया स्तर के पोशाक उपलब्ध कराते हैं.इसके बदले में ठीकेदार एक तय कमीशन सभी को दे देते हैं.सूत्र की मानें तो इस स्तर के दलालों के कई सिंडिकेट विभिन्न विद्यालयों में घूमते हैं.एक-एक विद्यालय में तीन-चार कमीशनखोर जाते हैं.जिस कमीशनखोर की बोली ऊँची लगी उसी को विद्यालय की ओर से पोशाक सप्लाई करने की हरी झंडी मिलती है.
मजेदार बात यह है कि स्थानीय स्तर पर विरोध का न तो विद्यालय पर असर पड़ता है और न ही बिचौलियों पर.शिक्षा विभाग भी कभी-कभार इस बाबत हवा में फायरिंग कर इतिश्री कर लेते हैं.
मुख्यमंत्री पोशाक योजना दलालों के चंगुल में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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September 22, 2011
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