युग एक करवट लेता है.
अन्ना की अब तो आंधी है
नए युग का वह गांधी है.
भ्रष्टाचारियों गद्दी छोड़ो
अब तो जनता फरियादी है
व्यवस्था में घुन लग गए
चोर है करते पहरेदारी
आम आदमी दिन-रात है पिसता
कटती भ्रष्ट अधिकारियों की चांदी है.
गिरफ्तार करो या दमन करो
जेल भरो या शमन करो
ये सैलाब विचारों वाली है.
व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन हैं करने
लाओ लोकपाल या गद्दी छोड़ो
सारे देश ने ठानी है.
अन्ना की अब तो आंधी है,
वह नए युग का गांधी है.
--नीरज कुमार (पूर्व ई-टीवी संवाददाता, मधेपुरा)
ई-मेल:neerajkumarnk@yahoo.co.in
अन्ना की आंधी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 16, 2011
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Bahut hi achhi kavita,Anna ki andhi ab rukne wali nahi hai.ham sab anna ke sath hain/
ReplyDeleteअन्ना की आंधी पुरे देश में जोरों से चल रही है ,ऐसा लगता है कि सरकार में शामिल लोगों को छोर पूरे देश कि जनता काफी इमानदार है तथा इनका भ्रस्टाचार से दूर - दूर तक कोई नाता नहीं है /इस आन्दोलन में शामिल लोगों से मेरा आग्रह है कि एक बार पूरी ईमानदारी से अपने गिरेबां में झांक कर देखिये -------क्या आपको लगता है कि आप भ्रस्टाचारी नहीं हो ?क्या आप पूरे इमानदार हो ?क्या आपने अपने प्रत्येक धर्म का पालन ईमानदारी पूर्वक किया है ? क्या जब भी आपको अवसर मिला है आपने जरुरत मंदों कि निःस्वार्थ सहायता की है?अगर ऐसा नहीं है तो आप भी कम भ्रष्ट नहीं हो , पहले अपने भ्रस्ट्ता की प्रतिशत घटाओ फिर भ्रस्टाचार मिटाने की मुहीम में आगे की पंक्ति में आपकी जगह होगी / निश्चय ही जन आन्दोलन आवश्यक है परन्तु इस कदर देश में नहीं ,अपने अंदर के भ्रष्ट आचरण को मिटाओ ,फिर देखना पूरा भारत वर्ष भ्रस्टाचार से मुक्त हो कर पवित्र हो जायेगा /अगर आप सोचते हो कि ये संभव नहीं है ,तो एक बात याद रखना, भ्रस्टाचार कभी नहीं मिटा पाओगे /देश कि बात तो दूर ,समाज से भ्रस्टाचार मिटा कर दिखा दो, मान लूँगा /
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