राकेश सिंह|२२ अगस्त २०११
सिर्फ बदन पर वर्दी चढ जाने से पुलिस निडर नहीं हो सकती.मौका था जन्माष्टमी की रात मधेपुरा जिला मुख्यालय स्थित बड़ी महावीर मंदिर परिसर में हो रहे जागरण कार्यक्रम का.कलाकारों ने संगीत छेड़ा तो लोग सुध-बुध खो बैठे. घेरे के अंदर कुर्सियों पर बैठे लोग तो संयमित होकर संगीत का आनंद ले रहे थे.तालियों से कलाकारों के हौसले की अफजाई भी हो रही थी.पर बांस के घेरे के बाहर कुछ लफंगे अपनी करामत दिखाने को तत्पर नजर आ रहे थे.इसी बीच नशे में धुत्त एक युवक ने एक पुलिस के होमगार्ड को छेड़ दिया.होमगार्ड जब आगे बढ़ा तो उस युवक ने रौब से सीना ठोंककर अपना कुछ परिचय दिया तो होमगार्ड के जवान ने उसे नमस्ते किया और दूसरी ओर खिसक गया.कुछ देर बाद जब एक दूसरा होमगार्ड का जवान वहां पहुंचा तो उसी युवक ने उसका गमछा खींच लिया.युवक की हिम्मत ऐसी जैसे कोई बन्दर किसी शेर को छेड़ने जा रहा हो.होमगार्ड के जवान ने जब प्रतिकार किया तो उसका गमछा तो वापस मिल गया, पर वह युवक उसे लगातार अनाप शनाप बकता रहा और उसी युवक के चमचे पुलिस को हटाने लगे.और अंत में पुलिस ने ही खुद को इस लफड़े से दूर करना बेहतर समझा, और चलते बने.दादागिरी जिंदाबाद!
पूरे मामले का अंदाजा इस वीडियो(यहाँ क्लिक करें) को देख कर लगाया जा सकता है.
मुर्दों को वर्दी पहना देने से उसमे पुलिस का रौब नहीं आ जाता
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 22, 2011
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