मना रहे थे सभी जश्न,
नेता और मच्छर में
बेहतर कौन?
सूंघ गया सांप सभा को
साधे रहे सभी मौन.
दिल में हलचल मची
अंदर ही अंदर
कहाँ दबंग नेता
कहाँ दब्बू मच्छर
एक के काटे
काम आती दवाई
एक सन सैंतालीस से
दिखता एक जैसे हो
गांधी जी का बन्दर
चाहत देश निगलने की
पाले हैं अंदर ही अंदर
निकलता है रात में
भूखा-प्यासा कभी हाथ में
कभी काटता लात में
भूल से भी यदि दब जाता है
उसका कचूमर निकल जाता है
सभासद साधे रहे मौन.
उछला फिर वही प्रश्न
बेहतर कौन?बेहतर कौन?
--संतोष सिंह,नगर शिक्षक,
मध्य विद्यालय,जगजीवन आश्रम,मधेपुरा.
बेहतर कौन?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 07, 2011
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