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बिल जमा काउंटर |
राकेश सिंह /०६ अगस्त २०११
राज्य में बिजली की स्थिति सुधरने के लिए सरकार ने जो कदम उठाये हों,पर लोगों को एक झटका देने वाला कदम तो उठ चुका है और उपभोक्ताओं को अपनी जेबें कुछ अधिक ही ढीली करनी पड़ रही है.बिजली के चार्ज अब उपभोक्ताओं पर ज्यादा थोप दिया गया है.पहले अगर ५० यूनिट के १३५ रूपये देने पड़ते थे तो अब ये सीधे २७० रूपये पर जा टिका है.फिक्स्ड चार्ज भी कुछ इसी अनुपात में बढ़ा दिया गया है.विभाग के कार्यपालक अभियंता सुदामा राय इसका कारण कोयले के दामों में ढुलाई के कारण हुई वृद्दि बताते हैं.उनका कहना है कि ये पिछले दिसंबर के बिल से लिया जा रहा है.कार्यपालक अभियंता ने जानकारी दी कि सरकार ने
इसे अगस्त २००९ से ही लागू करने का फैसला किया है.यानी पिछले अगस्त २००९ से नवंबर २०१० तक का बकाया भी उपभोक्ताओं को देना पड़ेगा.यानी बिजली विभाग ने उपभोक्ताओं की जेबें पूरी तरह
से हलकी करने का मन बना लिया है.मधेपुरा के अधिकांश बिजली उपभोक्ताओं को एक और परेशानी से गुजरना पड़ता है, वो ये कि अधिकांश लोगों को बिजली बिल घर नही पहुँचाया जाता है.लोगों को जमा करने वाले काउंटर पर जाकर हजारों की संख्यां में बिखरे पड़े बिलों में से खुद ढूँढ कर जमा करना पड़ता है.
इसे अगस्त २००९ से ही लागू करने का फैसला किया है.यानी पिछले अगस्त २००९ से नवंबर २०१० तक का बकाया भी उपभोक्ताओं को देना पड़ेगा.यानी बिजली विभाग ने उपभोक्ताओं की जेबें पूरी तरह
से हलकी करने का मन बना लिया है.मधेपुरा के अधिकांश बिजली उपभोक्ताओं को एक और परेशानी से गुजरना पड़ता है, वो ये कि अधिकांश लोगों को बिजली बिल घर नही पहुँचाया जाता है.लोगों को जमा करने वाले काउंटर पर जाकर हजारों की संख्यां में बिखरे पड़े बिलों में से खुद ढूँढ कर जमा करना पड़ता है.
कुल मिलकर मधेपुरा की स्थिति ये है कि बिजली रहे या न रहे,बिल तो आप पर हैवी लादा ही जायेगा,और जब सरकार का मन होगा,दर बढाकर बकाया भी वसूल करने लगेगी.
बिजली बिल तो हुआ ही दुगुना,देने होंगे बकाया भी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 06, 2011
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