मैं एक विचार हूँ
अब तुम पर है- मुझे किस तरह लेते हो
अब तुम पर है- मुझे किस तरह लेते हो
मैं सत्य हूँ निर्बाधित विचारों का
अब तुम पर है - मुझे किस तरह लेते हो
तुम अगर इन विचारों को तोड़ते मरोड़ते हो
झूठ के पिरामिड बनाते हो
फिर तो मैं हूँ ही नहीं कहीं
मुझे ढूंढना , उलाहने देना निरर्थक है
मेरे संग चलो सुकून से
या झूठ की असंतुलित मरीचिका में
सत्य का सुकून ढूंढते रहो ....
यह सब तुम पर है
सिर्फ तुम पर !
-रश्मि प्रभा,पटना
तुम पर है
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 31, 2011
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