जिंदगी लेने वाली दवाओं की बिक्री धडल्ले से

सुकेश राणा/२९ मई २०११
जिले में प्रतिबंधित दवा की बिक्री व सेवन धडल्ले से हो रहा है.दवाओं के प्रभाव से अनभिज्ञ जिले के लोग इसका इस्तेमाल कर भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं.दूसरी और हालत पर स्वास्थ्य प्रशासन की चुप्पी कुछ और ही बयां कर रही है.आश्चर्य की बात है कि अस्पताल के चिकित्सक भी विशेष स्थिति में चलने वाली दवा को धडल्ले से लिख रहे हैं.यही हालत खतरनाक बने ग्रामीण चिकित्सक व दवा विक्रेता की भी है जो पेनकिलर के रूप में पारासिटामोल, निमुसलाइड व अन्य दवा बिना सोचे समझे दे रहे हैं.दवा के जानकार बताते हैं कि निमुसलाइड ऐसी दवा है जो लीवर को कमजोर कर देता है.खासकर छ: वर्ष

के बच्चों के लिए तो यह काफी खतरनाक है.जिले के लोग एंटीबायोटिक के रूप में पेन्सिलिन का भी प्रयोग खूब करते हैं जबकि इस दवा को रखने के लिए विशेष कंडीशन की जरूरत होती है.इसी तरह पेट में कृमि होने पर लोग आराम से बिना सोचे समझे अल्बेनडाजोल के टेबलेट्स का प्रयोग तो कर लेते हैं पर ये दवा गर्भवती महिलाओं के लिटे घातक है और मीठा जहर का काम करती है.
     प्रतिबंधित दवाओं में सबसे खतरनाक स्थिति खांसी की सीरप कोरेक्सफेंसीडील की है जो अन्य बड़े शहरों की तरह मधेपुरा जैसे कस्बाई इलाकों को भी अपने गिरफ्त में ले चुका है.इसके यूजर ज्यादातर युवा हैं जो इसका इस्तेमाल नशे के लिए करते हैं.इसका नमूना आप पुरानी कचहरी कम्पाउंड स्थित जेल हाजत के पिछले हिस्से में देख सकते हैं जहाँ सैकड़ों खाली बोतलें बिखरी पडी हैं.आमतौर पर युवा इस स्थान पर पेशाब करने के बहाने जाते हैं और एक बार में पूरी बोतल गटक जाते हैं.जिले के सभी अस्पतालों में भी खांसी के सीरप की काफी डिमांड है.इस बात को शंकरपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य
केन्द्र के प्रभारी चिकित्सक डा० अशोक कुमार चौधरी भी स्वीकारते हैं. हैरत की बात तो ये है कि इसके यूजर गरीब महिलायें भी हैं.एक गरीब तबके की महिला रजिया खातून बताती है कि मेरे पति शराबी हैं, मेरा स्वास्थ्य भी ठीक नही रहता है.ऐसे में एक दिन सर्दी-खांसी व बदन दर्द में डॉक्टर ने
कफ सीरप लिख दिया.अच्छी नींद व सकून मिलने पर मैंने इसका डोज बढ़ा दिया,अब तो मैं इसके बिना रह भी नही पाती हूँ.
   जिले में प्रतिबंधित दवाओं के बेहिसाब बिक्री पर स्वास्थ्य प्रशासन की चुप्पी देखकर तो यही लगता है कि कहीं-न-कहीं इसमें इनकी भी मिलीभगत है.
जिंदगी लेने वाली दवाओं की बिक्री धडल्ले से जिंदगी लेने वाली दवाओं की बिक्री धडल्ले से Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 29, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. मिलीभगत हो या न हो पर इतना तो सच है कि स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता जरुर है स्वiस्थ्य विभाग को दवाओं की गुणवत्ता के प्रति अधिक चुस्त-दुरुस्त होने की जरुरत है /

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