नाली पर रहने को विवश पर नही मिला स्लम योजना का लाभ

 रूद्र नारायण यादव/२८ मई २०११
पंचायती राज बहुत से मामलों में लूट-खसोट का अड्डा बन चुका है.यदि राज्य सरकार की ठीक तरह से इस पर निगरानी नहीं हो तो गरीबों का हिस्सा अमीरों का निवाला बनता रहेगा और ग़रीबों की स्थिति बाद से बदतर होती चली जायेगी.
   मधेपुरा जिला मुख्यालय स्थित डाक बंगला रोड में ३० साल से गंदी नाली पर रहने वाले महादलितों का हिस्सा भी अमीरों द्वारा डकार लेने का ये मामला बेशर्मी की हद पार करने जैसा
है.मालूम हो कि यहाँ नारकीय जीवन बिता रहे महादलितों का फूस का घर ऐसा जर्जर है कि कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है.नाली की सडांध से इन दलितों के बच्चे अक्सर बीमार ही रहते हैं.इन्हें सरकार की खाने-पीने वाली योजना का लाभ तो जरूर मिल जाता है पर इन्हें किसी भी शिक्षा योजना का भी लाभ सरकार के द्वारा नही मिल सका है.और सरकार इन्हें अब तक कोई जगह देकर भी बसाने में नाकामयाब रही है.
    सबसे दुखद स्थिति तो तब देखने को मिली जब इस बार स्लम बस्ती विकास योजना की राशि आयी तो इस योजना का लाभ भी इन्हें नही मिल सका.वार्ड सदस्यों को ये नही दिखा कि पहले नाली पर रहने वाले इन महादलितों को आवास उपलब्ध करा दें.उलटे इस योजना के तहत जिन ३१९ लोगों को आवास दिया गया उनमे से अधिकाँश सुखी संपन्न तो हैं ही और पहले से ही इनसे अछे घरों में रह रहे हैं.दरअसल इस तरह की योजना राशि जब आती है तो वार्ड प्रतिनिधि और अधिकारी पहले अपने लोगों को खुश करने में लग जाते हैं.
नगर कार्यपालक पदाधिकारी
  नगर कार्यपालक पदाधिकारी गुलाम मुस्तफा अंसारी भी इस प्रश्न का संतोषप्रद जवाब नही दे पाते हैं कि इन्हें ३१९ लोगों में क्यों नही रखा गया.सिर्फ कहते हैं कि और भी राशि आयेगी और हमलोग जरूरतमंदों को इसका लाभ दिला रहे हैं.नगर परिषद् का कोई प्रतिनिधि या अधिकारी ये नही बता पा रहा है कि पहले से अच्छे घरों में रहने वाले संपन्न लोग ज्यादा जरूरतमंद हैं या फिर नाले पर नारकीय जीवन बिताने वाले ये गरीब?
नाली पर रहने को विवश पर नही मिला स्लम योजना का लाभ नाली पर रहने को विवश पर नही मिला स्लम योजना का लाभ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 28, 2011 Rating: 5

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