..और भगवान शंकर के सर्प की फजीहत होती रही.

महाशिवरात्रि में मधेपुरा में भक्तों का उत्साह चरम पर तो रहा ही,पर इस उत्साह में कुछ भक्त भगवान की भावना का सम्मान करना भी भूल गए.ये वाकया तब हुआ जब स्थानीय बाहेती परिवार के नर्मदेश्वरनाथ मंदिर से बाबा भोले की बारात शहर में घूमने निकली.भक्तों ने कहीं से बाबा के गले में रहने वाले जिन्दा नाग को पकड़ कर एक डंडे से बाँध कर भगवान शंकर का रूप धारण किये व्यक्ति के सामने खड़ा कर दिया.बेचारा सर्प जबरन फन जोड़े कई घंटे तक बारात के मनोरंजन का शिकार होता रहा.भोले शंकर की भावना तब और आहत हुई होगी जब उक्त सर्प अपना फन सिकोड़ कर आराम की स्थिति में जाना चाहता था.सर्प जैसे ही अपना फन  सिकोड़ता पीछे से भक्त उसकी पीठ पर थप्पड़ मारते और पुन: सर्प बेचारा मार के डर से फन जोड़ लेता था.
    भक्ति के नाम पर बेबस जंतुओं पर इस तरह का अत्याचार कहाँ तक उचित है? शुक्र मनाइए,मधेपुरा में कोई मेनका गांधी जैसी नही थी,वर्ना बात और बढ़ सकती थी.
(राकेश सिंह/03मार्च 2011)
..और भगवान शंकर के सर्प की फजीहत होती रही. ..और भगवान शंकर के सर्प की फजीहत होती रही. Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 03, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. सही मायने में पशु पर अत्याचार नहीं करना नहीं चाहियेः

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