राकेश सिंह/१७ मार्च २०११
शिक्षा माफियाओं के जाल में मधेपुरा किस कदर फंसा हुआ है,इस बार की इंटर परीक्षा के दौरान कई सच उजागर हुए.मनमर्जी चलाते रहे इस गंदे नेटवर्क के ऊँचे लोग.ऊँचे तो ऊँचे,निचले पायदान पर भी खड़े कुछ शिक्षकों ने अपनी दाल गलानी चाही.सोचा बड़े लूट रहे हैं तो हम क्यों पीछे रहें.आदमी छोटा से ही तो बड़ा बनता है,लूटते-लूटते किसी दिन हम भी बड़े बन जायेंगे.पर लूट के इस खेल में उस समय एक दिलचस्प मोड़ आया जब एक छात्रा के बिछाए जाल में एक शिक्षक इस कदर फंसा कि उसे जेल तक जाने की नौबत आ गयी..
ये दिलचस्प मामला रास बिहारी उच्च विद्यालय मधेपुरा परीक्षा केन्द्र का है.खगड़ा-किशनगंज की एक छात्रा साहिना शाबा का एडमिट कार्ड वहीं के एक शिक्षक ने यह कह कर रख लिया कि तुम नेपाल की फर्जी परीक्षार्थी हो,दस हजार रूपये दो तो परीक्षा देने देंगे नही तो परीक्षा से वंचित हो जाओगी.शिक्षक ने एडमिट कार्ड रखते हुए अपना मोबाइल नं० साहिना को दे दिया ताकि वह अपना निर्णय इस शिक्षक के मोबाइल पर दे सके.अवाक् साहिना को एक शिक्षक से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नही थी.उसने ये सारी बातें अपने भाई को बताया.भाई-बहन ने इस मामले को गंभीर समझ उक्त शिक्षक के विरूद्द सबूत जुटाने का फैसला किया.फिर भाई ने शिक्षक को फोन किया और सारी बातें स्पष्ट करने को कहा.शिक्षक ने फिर पुरानी बाते ही दुहराई कि दस हजार रूपये देने पर ही साहिना को परीक्षा देने दिया जाएगा.लेकिन इस बार इस शिक्षक को ये पता नही था कि उसकी सारी बातें मोबाइल में रिकॉर्ड हो रही हैं.खैर,बातें खत्म हुई और भाई-बहन पहुँच गए सदर एसडीओ गोपाल मीणा के पास.फिर क्या था,मधेपुरा में शिक्षा माफिया के विरूद्ध अभियान चला रहे एसडीओ ने उस शिक्षक को बुलवाया और जांच के बाद मोबाइल में रिकार्ड की गयी बातों को सही पाया. फिर शुरू हुई एफ आई आर दर्ज करने की प्रक्रिया. अब उन्हें बच्चों को पढाई एक कहावत याद आ रही होगी- गुरु, गुड़ चेला चीनी.
राम नाम की लूट है,लूट सको तो.....
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 17, 2011
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bilkul shi kha aapne sir,,,,,,,lgta hai apne bihar ki janta jagruk ho rhi hai....pr dhire dhire,,,,,,,
ReplyDeleteBahut achchha kiya dono bhai bahan ne parantu mere vichar se thori kami rah gayi,Topi utar kar chhor diya.Uske badan ka ek -ek kapra utar dete nanga kar dete aise ghatiya insan ko is layak hi nahi chhorte ki fir kabhi wah kisi chhatra ko siksha deta .Aise sikshak se padhna ya bachcho ko padhane se behtar hai ki anpadh hi rahen.
ReplyDeleteWOWWWWWWWWWWWWWWWW
ReplyDeleteHAHA
SAHI HAI
SIR
HAHAHAHAHA
ReplyDeleteKYA BAAT HI BILKUL SAHI HAI SIR