त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव-२०११.सरगर्मी तेज हो चुकी है.नामांकन का कार्य चल रहा है.विधायक की दौड़ में पिछड़ चुके नेताओं में से कुछ पंचायत चुनाव की दौड़ में शामिल हो चुके हैं.चुनाव के अतिरोमांचक होने की संभावना बढ़ चुकी है.छोटे पदों की बात तो दूर,सरपंच पद तक के लिए ज्यादा मारामारी नही है.सबसे ज्यादा संघर्ष इस बार यदि किसी पद के लिए चल रहा है तो वह है-मुखिया.
दरअसल इसके पीछे खासी वजहें भी हैं.पिछली बार मुखिया बने लोग मालामाल हो चुके हैं.सुशासन में फंडों की बहार आयी तो लूट के नए-नए रास्ते भी खुले.खपरैल घर में रहने तथा सायकिल पर घूमने वाले मुखिया जी अब पक्के के घर में रहते हैं और चमचमाती सुमो-बोलेरो में चार-छ: अन्तरंग चमचों के साथ घूमते नजर आते हैं.अपने मनपसंद प्रत्याशी को मुखिया बनवाने के लिए शागिर्द भी परेशान हैं.मुखिया जी के पैसों पर रईसी करना भी अपने आप में सौभाग्य की बात है.किसी-किसी योजना में कमीशन तो मिलेगा वो अलग और बोनस तो और भी लुभावना है.मुखिया जी बोलेरो से मधेपुरा मार्केट में कोई काम कर रहे होंगे और शागिर्दों को तब तक बस स्टैंड या स्टेट बैंक रोड में लेडीज सैलून में मुलायम हाथों से दाढ़ी बनवाने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा होगा.

मुखिया के चमचों की भी बदलेगी तकदीर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 17, 2011
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चटक अंदाज मे गरियाने का कला तो सर सभी लोगो को आपसे सीखना चाहिए........
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