रूद्र नारायण यादव/१५ जनवरी २०१०
सूर्यनारायण राम के कद पर मत जाइए.इनकी ऊँचाई मात्र २.५ फीट ही है,पर आसमान छूने की तमन्ना ये रखते है.अच्छी खासी नौकरी को दांव पर लगाया है इन्होने.औराही एकपरहा प्राथमिक विद्यालय में अभी हाल तक शिक्षक थे ये.पर इन्हें लगा कि इस पद पर रहकर बेहतर समाज सेवा नही की जा सकती है,और बस क्या था?शिक्षक के पद से इस्तीफा दे दिया
इन्होने और कूद पड़े समाज सेवा में.अभी ये विभिन्न कार्यालयों में जाकर पब्लिक का काम कराते हैं.इरादा साफ़ है-अगले चुनाव में एमपी के लिए लड़ना और अपनी जीत ये पक्की मानते हैं.कहते हैं जनता मुझे वोट देगी क्योंकि मैं उनकी सेवा में हमेशा तत्पर रहता हूँ.वे आगे कहते हैं किसी ऐसे नेता का नाम मधेपुरा में बताइये जो अपने पद को छोड़कर राजनीति में कूदा हो?यहाँ तो सभी लोभ और लूट के लिए राजनीति कर रहे हैं,मेरे जैसा कोई नही.
इन्होने और कूद पड़े समाज सेवा में.अभी ये विभिन्न कार्यालयों में जाकर पब्लिक का काम कराते हैं.इरादा साफ़ है-अगले चुनाव में एमपी के लिए लड़ना और अपनी जीत ये पक्की मानते हैं.कहते हैं जनता मुझे वोट देगी क्योंकि मैं उनकी सेवा में हमेशा तत्पर रहता हूँ.वे आगे कहते हैं किसी ऐसे नेता का नाम मधेपुरा में बताइये जो अपने पद को छोड़कर राजनीति में कूदा हो?यहाँ तो सभी लोभ और लूट के लिए राजनीति कर रहे हैं,मेरे जैसा कोई नही.
सूर्यनारायण की बातों में तो दम दिखता है,पर जनता का क्या,इनकी बात पर उन्हें भरोसा हो तब तो?जो भी हो,सूर्यनारायण ने घबराना नही सीखा है,इस भयानक ठंढ में भी वे लोगों का काम कराने में मधेपुरा के समाहरणालय में व्यस्त हैं.
जरा सूर्यनारायण के जज्बे को जानिये....
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 15, 2011
Rating:
Thanks to Mr.Suryanarayan
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