राकेश सिंह/२२ अगस्त २०१०
पिछले गुरुवार का दिन - व्यवहार न्यायालय में एक अजीबोगरीब दृश्य तब उपस्थित हो गया एक चिकित्सक दंपति के आपसी विवाद में न्यायालय परिसर में भारी भीड़ जुट गई. भीड़ ऐसी जुटी और इस दम्पति को इस कदर खदेड़ने लगी कि उस वक्त मधेपुरा में सभ्य समाज होने पर प्रश्न चिन्ह लगता हुआ नजर आने लगा.भीड़ पर नियंत्रण पाने के लिए कुछ समझदार लोगों और पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी.प्राप्त जानकारी के अनुसार मधेपुरा के ही मंडल
वि०वि० के पूर्व प्रॉक्टर तथा बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान के जिला के सबसे महत्वपूर्ण कर्ता-धर्ता अमोल राय के पुत्र और आलमनगर में पदस्थापित नियोजित चिकित्सक डा. प्रियरंजन भाष्कर और कस्बे में
नियोजित डा.सुलोचना के बीच डिवोर्स (तलाक) के लिए परिवार न्यायालय में गुरुवार को सुनवाई की तिथि निर्धारित थी. न्यायालय कक्ष से जैसे ही डा. प्रियरंजन निकले वैसे ही उनकी पत्नी डा. सुलोचना ने उनका हाथ पकड़ लिया और तलाक न लेने की जिद पर उतर गयी. डा. प्रियरंजन ने लाख कोशिश की लेकिन सुलोचना ने उनके हाथ को नहीं छोड़ा.
इस बीच न्यायालय में दर्शकों की भीड़ जमा हो गयी और इस पति पत्नी के विवाद को इस तरह चटकारे लेकर एक दूसरे को सुनाने लगी जैसे उनके घर में कभी झगडा हुआ ही नही ही.जितने मुंह उतने बकबास.तब तक पुलिस भी पहुँच गयी और दोनों को परिवार न्यायालय में ले जाया गया बाद में अनुमंडल आरक्षी पदाधिकारी विनोद प्रसाद यादव एवं थानाध्यक्ष अजय कुमार को वहां आकर भीड़ को नियंत्रित करना पड़ा. बाद में परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने दोनों को समझाने का प्रयास किया. उन्होंने इस दम्पति को आपसी विवाद को तमाशा बनाने से भी मना किया. उन्होंने कहा कि विवाह एक पवित्र बंधन है और इसकी पवित्रता को बनाये रखना चाहिए. प्राप्त जानकारी के अनुसार इन दोनों डाक्टरों की शादी मई 2009 में हुई थी. शादी के कुछ दिन बाद ही सम्बन्ध बिगड़ने लगे थे.
डाक्टर पति ने 22 मार्च को ही तलाक के लिए यहां आवेदन दाखिल किया था. पत्नी ने भी पूर्णिया में अपने पति एवं परिजनों पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया था जिसमे सभी अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है. न्यायालय परिसर में पत्नी गुहार लगाती रही कि मुझसे आपकी शादी हुई है मुझे मत छोड़ें पर पति तलाक पर यह कहते अडिग था मैंने कभी नही सोचा था कि मुझे ऐसी पत्नी मिलेगी.पत्नी यह भी कहती रही कि आप दूसरी भी शादी कर लेते हैं तो मैं बहन जैसा रह लूंगी. लोगों की पूरी सहानुभूति पत्नी के पक्ष में ही रही.अफवाहों का बाजार गर्म रहा कि दोनों के पिता सम्बन्ध खराब करने के लिए जिम्मेवार हैं.
चर्चा यह भी है कि पिछले साल इनकी शादी बड़े धूमधाम से हुई थी जिसमे पूर्व सांसद पप्पू यादव समेत काफी संख्या में गणमान्य व्यक्ति शरीक हुए थे और लड़के के पिता द्वारा दहेज में मोटी रकम भी ऐंठी गयी थी.लोगों का कहना था कि इस डॉक्टर से बेहतर एक भैंसवार भी अपनी पत्नी को लाड़ प्यार से रखता है और पत्नी की इस गुहार पर तो पत्थर भी पिघल जाय.जो भी हो तलाक एक कानूनी प्रक्रिया है और क़ानून इसकी इजाजत तो देता ही है कि दम्पति तलाक के मामले में न्यायालय आ ही सकते हैं.वहां सुलह की प्रक्रिया भी क़ानून के दायरे में आता है.पर लोगों द्वारा इस मामले को अभी तक हवा देते रहना तथा घटना के दिन अपना काम छोडकर घंटों इनके पीछे पीछे दौड़ते रहने वाला समाज कभी सभ्य नही कहला सकता.
वि०वि० के पूर्व प्रॉक्टर तथा बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान के जिला के सबसे महत्वपूर्ण कर्ता-धर्ता अमोल राय के पुत्र और आलमनगर में पदस्थापित नियोजित चिकित्सक डा. प्रियरंजन भाष्कर और कस्बे में
नियोजित डा.सुलोचना के बीच डिवोर्स (तलाक) के लिए परिवार न्यायालय में गुरुवार को सुनवाई की तिथि निर्धारित थी. न्यायालय कक्ष से जैसे ही डा. प्रियरंजन निकले वैसे ही उनकी पत्नी डा. सुलोचना ने उनका हाथ पकड़ लिया और तलाक न लेने की जिद पर उतर गयी. डा. प्रियरंजन ने लाख कोशिश की लेकिन सुलोचना ने उनके हाथ को नहीं छोड़ा.
इस बीच न्यायालय में दर्शकों की भीड़ जमा हो गयी और इस पति पत्नी के विवाद को इस तरह चटकारे लेकर एक दूसरे को सुनाने लगी जैसे उनके घर में कभी झगडा हुआ ही नही ही.जितने मुंह उतने बकबास.तब तक पुलिस भी पहुँच गयी और दोनों को परिवार न्यायालय में ले जाया गया बाद में अनुमंडल आरक्षी पदाधिकारी विनोद प्रसाद यादव एवं थानाध्यक्ष अजय कुमार को वहां आकर भीड़ को नियंत्रित करना पड़ा. बाद में परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने दोनों को समझाने का प्रयास किया. उन्होंने इस दम्पति को आपसी विवाद को तमाशा बनाने से भी मना किया. उन्होंने कहा कि विवाह एक पवित्र बंधन है और इसकी पवित्रता को बनाये रखना चाहिए. प्राप्त जानकारी के अनुसार इन दोनों डाक्टरों की शादी मई 2009 में हुई थी. शादी के कुछ दिन बाद ही सम्बन्ध बिगड़ने लगे थे.
डाक्टर पति ने 22 मार्च को ही तलाक के लिए यहां आवेदन दाखिल किया था. पत्नी ने भी पूर्णिया में अपने पति एवं परिजनों पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया था जिसमे सभी अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है. न्यायालय परिसर में पत्नी गुहार लगाती रही कि मुझसे आपकी शादी हुई है मुझे मत छोड़ें पर पति तलाक पर यह कहते अडिग था मैंने कभी नही सोचा था कि मुझे ऐसी पत्नी मिलेगी.पत्नी यह भी कहती रही कि आप दूसरी भी शादी कर लेते हैं तो मैं बहन जैसा रह लूंगी. लोगों की पूरी सहानुभूति पत्नी के पक्ष में ही रही.अफवाहों का बाजार गर्म रहा कि दोनों के पिता सम्बन्ध खराब करने के लिए जिम्मेवार हैं.
चर्चा यह भी है कि पिछले साल इनकी शादी बड़े धूमधाम से हुई थी जिसमे पूर्व सांसद पप्पू यादव समेत काफी संख्या में गणमान्य व्यक्ति शरीक हुए थे और लड़के के पिता द्वारा दहेज में मोटी रकम भी ऐंठी गयी थी.लोगों का कहना था कि इस डॉक्टर से बेहतर एक भैंसवार भी अपनी पत्नी को लाड़ प्यार से रखता है और पत्नी की इस गुहार पर तो पत्थर भी पिघल जाय.जो भी हो तलाक एक कानूनी प्रक्रिया है और क़ानून इसकी इजाजत तो देता ही है कि दम्पति तलाक के मामले में न्यायालय आ ही सकते हैं.वहां सुलह की प्रक्रिया भी क़ानून के दायरे में आता है.पर लोगों द्वारा इस मामले को अभी तक हवा देते रहना तथा घटना के दिन अपना काम छोडकर घंटों इनके पीछे पीछे दौड़ते रहने वाला समाज कभी सभ्य नही कहला सकता.
हंगामा है क्यूं बरपा............
Reviewed by Rakesh Singh
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August 22, 2010
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