रूद्र नारायण यादव/१९ जून २०१०
मधेपुरा देश के बड़े शहरों की सूची में राजनीतिक,सामाजिक एवं धार्मिक रूप से शामिल है लेकिन आज मधेपुरा की दुर्दशा है कि यह शायद देश का पहला रेलवे स्टेशन बन गया है जहाँ रात में ट्रेनें आती है और रात में ही चली जाती है.जिससे खास कर मधेपुरा वासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.मालूम हो कि आजादी के पूर्व से यहाँ रात दिन ट्रेने आती जाती रही है जिससे यहाँ के लोग अगल बगल के जिले में नौकरी व व्यवसाय ट्रेन से आ जाकर किया करते थे.लेकिन कुसहा त्रासदी २००८ के बाद सहरसा मधेपुरा के बीच रेल सेवा पूर्णरूपेण बाधित हो गया तो रेल विभाग ने यह कह कर रेल परिचालन शुरू नहीं करवाया कि अमान परिवर्तन के बाद ही ट्रेन सेवा शुरू की जायेगी.
बड़ी रेल लाइन निर्माण का कार्य शुरू भी हुआ लेकिन जैसे ही रेल मंत्री लालू प्रसाद हटे और वर्तमान रेल मंत्री ममता बनर्जी बनी वैसे ही कार्य की प्रगति धीमी पड़ गयी.कार्य की प्रगति धीमी देख मधेपुरा के विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा उग्र आंदोलन भी किया गया,तत्पश्चात आनन्-फानन में सहरसा मधेपुरा के बीच बड़ी रेल लाइन निर्माण का कार्य पूरा कर एक जोड़ी ट्रेन लगभग पांच माह पूर्व चलाई गयी लेकिन हद तो तब हो गया जब दोनों ट्रेने सिर्फ रात में आती हैं और रात में ही चली जाती है जिससे यहाँ के लोगों को फायदा तो नहीं हुआ उलटे यह परेशानी हो गयी कि जब वे रात में परिवार व बच्चे के साथ ट्रेन से उतारते हैं तो वे अपने को ना घर के ना घाट के समझ स्टेशन पर रात गुजारने को मजबूर हो जाते हैं.उनके पास कोई चारा नहीं बचता रात में घर जाने को.यहाँ के लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं.लोगों को इस बात से काफी दु:ख है कि यहाँ का प्रतिनिधित्व पिछले दो दशक से कभी राष्ट्रीय नेता शरद यादव, लालू यादव एवं दबंग नेता पप्पू यादव करते आ रहे हैं,लेकिन हाल छुटभैय्ये नेता के क्षेत्र से भी बदतर है.कुल मिलाकर यहाँ के लोग बाहरी नेता को इसके लिए जिम्मेवार मान रहे हैं.
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बड़ी रेल लाइन निर्माण का कार्य शुरू भी हुआ लेकिन जैसे ही रेल मंत्री लालू प्रसाद हटे और वर्तमान रेल मंत्री ममता बनर्जी बनी वैसे ही कार्य की प्रगति धीमी पड़ गयी.कार्य की प्रगति धीमी देख मधेपुरा के विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा उग्र आंदोलन भी किया गया,तत्पश्चात आनन्-फानन में सहरसा मधेपुरा के बीच बड़ी रेल लाइन निर्माण का कार्य पूरा कर एक जोड़ी ट्रेन लगभग पांच माह पूर्व चलाई गयी लेकिन हद तो तब हो गया जब दोनों ट्रेने सिर्फ रात में आती हैं और रात में ही चली जाती है जिससे यहाँ के लोगों को फायदा तो नहीं हुआ उलटे यह परेशानी हो गयी कि जब वे रात में परिवार व बच्चे के साथ ट्रेन से उतारते हैं तो वे अपने को ना घर के ना घाट के समझ स्टेशन पर रात गुजारने को मजबूर हो जाते हैं.उनके पास कोई चारा नहीं बचता रात में घर जाने को.यहाँ के लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं.लोगों को इस बात से काफी दु:ख है कि यहाँ का प्रतिनिधित्व पिछले दो दशक से कभी राष्ट्रीय नेता शरद यादव, लालू यादव एवं दबंग नेता पप्पू यादव करते आ रहे हैं,लेकिन हाल छुटभैय्ये नेता के क्षेत्र से भी बदतर है.कुल मिलाकर यहाँ के लोग बाहरी नेता को इसके लिए जिम्मेवार मान रहे हैं.
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देश का एकलौता स्टेशन मधेपुरा-जहाँ रात में ट्रेन आती है,रात में ही चली जाती है.
Reviewed by Rakesh Singh
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June 19, 2010
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