रूद्र नारायण यादव/१२ अप्रैल 2010 
मधेपुरा में 3 वर्षों से ज्यादा से सरकार द्वारा अग्निशमन केंद्र तो खोला गया, दो गाड़ी एवं अधिकारी और कर्मचारी भी दिए गए,लेकिन मुकम्मल व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण मधेपुरा का ये फायर सेंटर निरर्थक साबित हो रहा है.आग लगने पर गाड़ी तो घटना स्थल पर भेजी जाती है लेकिन आग पर काबू पाने में सक्षम नहीं हो पाता क्योंकि केंद्र को पानी भरने कि भी व्यवस्था नहीं है.
यहाँ तैनात अधिकारी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि मधेपुरा फायर सेंटर को जिला प्रशासन द्वारा बोरिंग की व्यवस्था नहीं करवाई गई है जिसके चलते पानी भरने में भारी परेशानी हो रही है और ग्रामीण इलाके जाकर अपने जेब से कुछ पैसे बोरिंग वाले किसान को देकर गाड़ी में पानी भरवाना पड़ता है.इतना ही नहीं,फायर ब्रिगेड की गाड़ी में डीजल देने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारी के कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है,बावजूद पैसा नहीं मिलने पर अपने जेब से पैसे लगा कर गाड़ी में ईंधन भरवाना पड़ता है.इतना ही नहीं फायर सेंटर का कार्यालय अभी तक स्टेडियम के गैरेज में चल रहा है जहाँ कोई साधन उपलब्ध नहीं है.यहाँ तैनात अधिकारी खुद बताते हैं कि आग लगने की खबर सुनकर देह कांपने लगता है कि ये आग कैसे बुझेगी.
इस समाचार से सम्बंधित वीडिओ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.
मधेपुरा में 3 वर्षों से ज्यादा से सरकार द्वारा अग्निशमन केंद्र तो खोला गया, दो गाड़ी एवं अधिकारी और कर्मचारी भी दिए गए,लेकिन मुकम्मल व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण मधेपुरा का ये फायर सेंटर निरर्थक साबित हो रहा है.आग लगने पर गाड़ी तो घटना स्थल पर भेजी जाती है लेकिन आग पर काबू पाने में सक्षम नहीं हो पाता क्योंकि केंद्र को पानी भरने कि भी व्यवस्था नहीं है.
यहाँ तैनात अधिकारी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि मधेपुरा फायर सेंटर को जिला प्रशासन द्वारा बोरिंग की व्यवस्था नहीं करवाई गई है जिसके चलते पानी भरने में भारी परेशानी हो रही है और ग्रामीण इलाके जाकर अपने जेब से कुछ पैसे बोरिंग वाले किसान को देकर गाड़ी में पानी भरवाना पड़ता है.इतना ही नहीं,फायर ब्रिगेड की गाड़ी में डीजल देने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारी के कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है,बावजूद पैसा नहीं मिलने पर अपने जेब से पैसे लगा कर गाड़ी में ईंधन भरवाना पड़ता है.इतना ही नहीं फायर सेंटर का कार्यालय अभी तक स्टेडियम के गैरेज में चल रहा है जहाँ कोई साधन उपलब्ध नहीं है.यहाँ तैनात अधिकारी खुद बताते हैं कि आग लगने की खबर सुनकर देह कांपने लगता है कि ये आग कैसे बुझेगी.
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बदहाल अग्निशमन केंद्र,मधेपुरा
 
        Reviewed by Rakesh Singh
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April 11, 2010
 
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