विश्व रेडियो दिवस: रेडियो की दुनिया में अरविन्द ने दिलाई कोसी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान

आज पूरी दुनिया में विश्व रेडियो दिवस मनाया जा रहा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व शैक्षणिक स्तर को उठाने में रेडियो की सर्वाधिक भूमिका निर्विवाद है।

    संयुक्त राष्ट्र संघ और यूनेस्को द्वारा पहली बार 13 फरवरी 2012 को विश्व रेडियो दिवस के रूप में घोषित किया गया था। यह कोसी और मधेपुरा का सौभाग्य रहा कि रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय प्रसारणों को तकनीकी सहयोग देने के लिए जाने-माने साहित्यकार डा. अरविन्द श्रीवास्तव को रेडियो डीएक्सिंग एवं प्रसारणों में विशिष्ठ योगदान के लिए रेडियो बुडापेस्ट, रेडियो बर्लिन इंटरनेशनल, रेडियो ताशकंद, रेडियो जापान (एनएचके) रेडियो मास्को, रेडियो प्राग, रेडियो कैरो, रेडियो वेरितास एशिया आदि प्रसारण केन्द्रों के डीएक्स विभाग की सदस्यता व समय-समय पर पुरस्कृत किया जाता रहा. 


विश्व रेडियो दिवस पर मधेपुरा टाइम्स स्टूडियो में ख़ास तौर पर आमंत्रित डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव हमसे बताते हैं कि जब दुनिया दो ध्रुवों में बंटी थी तब रेडियो बर्लिन इंटरनेशनल साम्यवादी खेमे का महत्वपूर्ण प्रसारण संस्थान था। तब रेडियो के प्रति मेरी दीवानगी का आलम आप इससे महसूस सकते हैं कि रेडियो बर्लिन इन्टरनेशनल, डीएक्स विभाग द्वार मुझे सर्वाधिक महत्वपूर्ण ’ऑनर’ एच- 2000 मिला अर्थात ’मैंने रेडियो बर्लिन इन्टरनेशनल के दो हजार कर्यक्रमों का सही रिशेप्सन रिपोर्ट भेजा था।’ इसकी घोषणा रेडियो पर उज्जवल भट्टाचार्य ने अपने जर्मन सहयोगियों के साथ की थी, तब मेरे कान के पास रेडियो व खुशी परवान पर थी। यह सम्मान दुनिया के गिने-चुने डीएक्स’रों को नसीब हो सका. आप मेरे इस धैर्य की तारीफ़ कर सकते हैं। रेडियो ताशकंद के अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पाना भी मेरे लिए महत्वपूर्ण रहा। तब सोवियत दूतावास, नई दिल्ली नें मुझे पुरस्कार पाने के लिए आमंत्रित किया था. सभी साक्ष्य आज भी मौजूद हैं ।
   रेडियो जगत में बतौर श्रोता प्रवेश करने वाले अरविन्द श्रीवास्तव का रुझान शुरू से अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण केन्द्रों पर रही। इस क्रम में इन्होंने ‘गीतांजलि रेडियो पत्रिका’ और इलाहाबाद से प्रकाशित ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रोता समाचार’ पाक्षिक अखबार में लगभग पाँच वर्षों तक विश्व रेडियो परिक्रमा एवं डी एक्स कॉर्नर नाम से कॉलम भी लिखा । रेडियो केन्द्रित इनके कई आलेख विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित प्रकाशित होते रहे हैं। डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव ने बताया कि रेडियो एक सर्वसुलभ मीडिया के रूप में उपलब्ध है। दुनिया के किसी भी हिस्से में, अफ्रीका के जंगल या मध्यपूर्व का रेगिस्तान बतौर किसी विशेष मशक्कत के इसकी सार्थकता कायम है। एक समय था जब युद्ध या शान्ति अथवा आपदा की घोषणा रेडियो पर की जाती थी. आज ’मन की बात’ भी!

जानिए विदेशी प्रसारण के लिए क्या है सिन्पो का महत्त्व?:  किसी भी प्रसारण केंद्र खासकर विदेशी प्रसारण केन्द्रों के लिए सिन्पो ( SINPO) प्रणाली का महत्त्व- एस- सिगनल स्ट्रेंथ आई- इंटरफेरेंस एन- नॉइस पी- प्रोपेगेशन ओ- ओवरऑल रेटिंग अब इन्हें पांच भागों में विभक्त किया जाता है 1 - एक्सेलेंट, 2- नार्मल 3 - पूअर (कमजोर) . इसे प्रसारण केंद्रों द्वारा प्राप्त फार्म जिसे रिसेप्सन फ़ार्म कहा जाता है उसे भरकर भेजा जाता है.. सही होने पर प्रसारण केंद्र -क्यू एस एल कार्ड द्वारा अथवा वेरिफिकेशन कार्ड द्वारा पुष्ट करते हैं.. यह प्रणाली पूरी दुनिया मान्य हैं तथा इसी आधार पर प्रसारण केंद्र अपने प्रसारणों को सत्यापित भी करते हैं.

कौन हैं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रेडियो में मधेपुरा को पहचान दिलाने वाले अरविंद श्रीवास्तव?: एक परिचय-

नाम - अरविन्द श्रीवास्तव
जन्म तिथि: 2 जनवरी 1964
पिता: श्री हरिशंकर श्रीवास्तव `शलभ´
शिक्षा: एम. ए. द्वय (इतिहास और राजनीति विज्ञान) पी-एच. डी. (मधेपुरा जिला का ऐतिहासिक सर्वेक्षण -1887-1947)

प्रकाशित: (पत्रिकाओं में) वागर्थ, हंस, जनसत्ता, वसुधा, कथादेश, पाखी, शुक्रवार, परिकथा, दोआबा, उद्भावना, साक्ष्य (बिहार विधान परिषद), वर्तमान साहित्य, अक्षर पर्व, कृति ओर, प्रतिश्रुति, शेष, जनपथ, एक और अंतरीप, मीडिया विमर्श, साक्षात्कार, देशज, दस्तावेज, उत्तरार्द्ध, सहचर, कारखाना, अभिघा, शीतल वाणी, मुक्तिबोध, शोध दिशा, सारांश, सरोकार, प्रखर, कथाबिंव, योजनगंधा, औरत, आकल्प, शैली, अपना पैग़ाम, संभवा, कला-अभिप्राय, रास्ता, ये पल, क्षितिज, आदि ।

समाचार पत्र: हिन्दुस्तान(दिल्ली/पटना), पंजाब केसरी, नवभारत टाइम्स, प्रभात खबर, आज आदि में..

कृतियाँ: 'राजधानी में एक उज़बेक लड़की', 'एक और दुनिया के बारे में' एवं अफ़सोस के लिए कुछ शब्द (राजभाषा विभाग-मंत्रिमंडल सचिवालय, बिहार सरकार से प्राप्त आर्थिक अनुदान से प्रकाशित) कविता कभी मरेगी नहीं, 'कैद हैं स्वर सारे' संपादन और संयोजन का भी आपको अनुभव है। शब्द कारखाना ( जर्मन साहित्य पर केन्द्रित अंक-27) का संयोजन । ’सिलसिला´ पत्रिका एवं `सुरभि´ सांस्कृतिक मंच का संपादन। हिन्दी,उर्दू एवं मैथिली पुस्तक एवं पत्रिकाओं में रेखाकंन- आवरण प्रकाशित

अनुवाद : मलयालम, जर्मन, आंग्ल, उर्दू, मैथिली, बांग्ला सहित अन्य भाषाओं में

प्रसारण : आकाशवाणी एवं दूरदर्शन एवं स्थानीय चैनल से काव्य/ आलेख।

सम्मान: स्थानीय स्तर पर कई सम्मान सहित सह्स्राब्दी विश्व हिन्दी सम्मेलन, नई दिल्ली में सम्मानित, ’हिन्दी ब्लोग प्रतिभा सम्मान-2011’ (उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल ’निशंक’ एवं कवि अशोक चक्रधर के करकमलों से हिन्दी भवन, नई दिल्ली में), ’केदारनाथ अग्रवाल जन्मशती साहित्य सम्मान 2011’ (उद्भ्रान्त, दूरदर्शन निदेशालय के वरिष्ठ निदेशक एवं संपादक- कथाक्रम व पूर्व पुलिस महानिरीक्षक शैलेन्द्र सागर द्वारा, लखनऊ में) 'तस्लीम परिकल्पना सम्मान 2011’(रंगकर्मी मुद्राराक्षस एवं वरिष्ठ आलोचक वीरेन्द्र यादव द्वारा, लखनऊ में) ’कवि मथुरा प्रसाद गुंजन स्मृति सम्मान 2012' से (मुंगेर) में सम्मानित.
पुरस्कृत: अनेक प्रसारण केन्द्रों- रेडियो बर्लिन इन्टरनेशनल, रेडियो ताशकंद, रेडियो बुडापेस्ट आदि द्वारा..

अनुभव: साहित्यक एवं सांस्कृतिक आयोजनों की व्यवस्था, सोशल मीडिया पर पेज डिजाइनिंग, ब्लाग एवं ब्लागिंग, यूनिकोड टाइपिंग (Unicode typing), संपादन आदि

सम्प्रति - लेखन, अध्यापन, कम्पयूटर एवं सांस्कृतिक कार्य से संबद्धता वेब पत्रिका 'जनशब्द' (http://janshabd.blogspot.com) एवं ‘खबर कोसी’ (http://khabarkosi.blogspot.com) का संपादन सहित इंटरनेट पर कई ब्लाग का मोडरेटर।

संपर्क एवं स्थायी पता - कला-कुटीर, अशेष मार्ग, मधेपुरा, बिहार- 852113. (बिहार) 

मोबाइल: 094310 80862. email- arvindsrivastava39@gmail.com
(ब्यूरो रिपोर्ट)
विश्व रेडियो दिवस: रेडियो की दुनिया में अरविन्द ने दिलाई कोसी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान विश्व रेडियो दिवस: रेडियो की दुनिया में अरविन्द ने दिलाई कोसी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 13, 2017 Rating: 5
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