सक्सेस स्टोरी (5): जीरो से बने असली ‘हीरो’, कभी करते थे पार्ट्स की दुकान, आज कोसी के सबसे बड़े वाहन शो-रूम के हैं मालिक (भाग-1)

एक बात तो तय है कि मेहनत और ईमानदारी में बड़ी ताकत है, पर इसके साथ यदि किसी का साथ जरूरत पर मिल जाय तो सफलता की राहें आसान हो जाती है. हालाँकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि अधिकांश मामलों में बुरे वक्त में शायद हर कोई आपको अकेला छोड़ कर भाग जाना चाहता है.

    मधेपुरा के इस व्यक्ति के जीवन में भी आए उतार-चढ़ाव हमें बहुत कुछ सिखा जाती है. कभी जीरो रहा 45 वर्षीय यह युवक आज सचमुच कोसी का ‘हीरो’ है. कोसी के सबसे बड़े टू-व्हीलर वाहन विक्रेता बने मधेपुरा के ‘हीरो’ शोरूम के मालिक अशफाक आलम ने जहाँ वर्ष 1995 में दो-ढ़ाई हजार की पूँजी से पार्ट-पुर्जे की दूकान शुरू की थी, वहीँ अब इनकी हैसियत का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि ये आज कोसी के सबसे बड़े सेल टैक्स भरने वालें में हैं जो एक से सवा करोड़ रूपये का टैक्स एक महीने में देते हैं. कभी खुद से अपनी 8 फीट X 8 फीट की दूकान में झाडू लगाने वाले अशफाक आलम हीरो मोटरसायकिल के उस शो रूम के मालिक हैं जिनके यहाँ 150 से अधिक स्टाफ काम करते हैं जिन्हें वे पांच लाख रूपये से ज्यादा वेतन महीने में देते हैं.
      पर साढ़े चार करोड़ रूपये के बैंक सीसी अकाउंट रखने वाले इस सख्स की जिन्दगी में बहुत कुछ आसान नहीं रहा है.

उतार-चढ़ाव से भरी रही जिन्दगी: मधेपुरा जिले के बिरैली बाजार के मूल निवासी अशफाक आलम आठ भाइयों में सबसे छोटे थे और पिता की छोटी सी किराना की दुकान थी इससे परिवार का गुजर-बसर होता था. शुरू की पढ़ाई मुरलीगंज के बी.एल.हाई स्कूल और मधेपुरा के जेनरल हाई स्कूल में हुई और कॉलेज की पढ़ाई मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा से ग्रैजुएशन तक की. पढने-लिखने का कोई वैसा माहौल परिवार में नहीं था लिहाजा करीब बीस साल की उम्र में व्यवसाय में ही कुछ करने का मन बनाया और वर्ष 1995 में मधेपुरा जिला मुख्यालय के मेन रोड में दुर्गा स्थान के बगल में 125 रूपये महीने पर भाड़े पर एक दुकान ली और ‘बिहार ऑटो’ के नाम से मोटरसायकिल के पार्ट-पुर्जे की दुकान खोल ली.
            मधेपुरा टाइम्स से बात करते हुए अशफाक बताते हैं कि उसके बाद किसी तरह 50 हजार रूपये अग्रिम देकर जिला परिषद् की एक दूकान वहीँ मिली उसी समय से मकसद एक जगह बनानी थी. खुद दुकान में झाडू लगाने से लेकर पटना से माल लाना और बेचना दिनचर्या तो बन गई थी पर कैसे आगे बढ़ें, हमेशा इसी पर सोचते थे. दो-ढाई हजार रूपये की पूँजी से कुछ होना नहीं था तो सर्टिफिकेट पर बैंक अधिकारी छोटन यादव की मदद से PMRY के एक लाख रूपये का लोन लिया. 2001 में हिम्मत की और पुर्णियां में हीरो-होंडा की एजेंसी अग्रवाल मोटर्स से मधेपुरा में मोटरसायकिल बेचने पर बात की तो उन्होंने तीन-चार मोटरसायकिल की कीमत अग्रिम जमा करने को कहा. साथ ही उन्होंने इनपर अविश्वास जताते यहाँ तक सलाह दे डाली कि मधेपुरा में तीन-चार लोग फेल हो चुके हैं, आपसे नहीं होगा.
            पर धुन थी इसलिए शर्त के मुताबिक 5 हजार रूपये का ड्राफ्ट सिक्यूरिटी मनी के रूप में जमा किया और मोटरसायकिल बेचने की ठान ली, पर स्टेटस नहीं था, किसी बैंक ने मदद नहीं की. 

धनतेरस के दिन बढ़ा था हौसला: अशफाक बताते हैं कि वे शुक्रगुजार हैं उन तीन लोगों का जिन्होंने वर्ष 2001 के धनतेरस के दिन मोटरसायकिल खरीदने के लिए भरोसा कर अशफाक को एडवांस में रूपये दे दिए. महावीर ट्रेडर्स, देवाशीष बोस और दिलीप खंडेलवाल के लिए पूर्णियां से धनतेरस की सुबह मोटरसायकिल लाये और शाम में उनलोगों को दे दिया. दूकान भले फिर खाली हो गई, पर मन में आत्मविश्वास भर गया. (क्रमश:)
(अगले अंक में पढ़ें: कर्म को भगवान मानने वाले इस हीरो के पीछे भी है एक हीरो जिसने अपने घर-मकान को गिरवी रख कर की थी अशफाक की मदद: आसान नहीं था बाथरूम साइज के दुकान से भव्य शोरूम तक का सफ़र )
(ब्यूरो रिपोर्ट)
सक्सेस स्टोरी (5): जीरो से बने असली ‘हीरो’, कभी करते थे पार्ट्स की दुकान, आज कोसी के सबसे बड़े वाहन शो-रूम के हैं मालिक (भाग-1) सक्सेस स्टोरी (5): जीरो से बने असली ‘हीरो’, कभी करते थे पार्ट्स की दुकान, आज कोसी के सबसे बड़े वाहन शो-रूम के हैं मालिक (भाग-1) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 08, 2015 Rating: 5

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