विश्वविद्यालय अनशन: छात्रों को मरने के लिए छोड़ दिया प्रशासन ने ?

|नि० सं०|27 जुलाई 2014|
मंडल विश्वविद्यालय यानि स्थापना काल से ही लूट-खसोट का अड्डा. अधिकारी और कर्मचारी को हराम की खाने की आदत इतनी गहरी कि कोई भी विरोध इन्हें फूटी आँख नहीं सुहाता. यहाँ साजिशें इतनी गहरी रची जाती हैं कि पाकिस्तान की आईएसआई भी शर्मा जाय.
      पांच छात्र पहले तो विश्वविद्यालय की साजिश का शिकार होने के बाद कोई रास्ता न देखकर आमरण अनशन पर बैठे और अब ये फिर अगली साजिश का शिकार हो रहे हैं. मधेपुरा टाइम्स टीम जब आज सुबह अनशन स्थल पर पहुंची तो अनशनकारियों की स्थिति काफी नाजुक थी. बताया गया कि कल इन्हें देखने अस्पताल से डॉक्टर भी नहीं आये थे जबकि इससे पूर्व इनका चेकअप डॉक्टरों के द्वारा कराया जाता रहा है. कल एक अनशनकारी को जब उल्टियां होने लगी तो भी अस्पताल से कोई नहीं आया. बताया गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से भी कल किसी तरह की बातचीत करने कोई आगे नहीं आया. बस देर शाम प्रो० वीसी आये, दो मिनट बैठे और चले गए. जाहिर है इसे विश्वविद्यालय प्रशासन की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा कहा जा सकता है और इस बात कि आशंका जाहिर की जा सकती है कि ये छात्र किसी साजिस का शिकार हो रहे हैं. छात्र नेता ने मधेपुरा के एसडीपीओ पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने कहा कि आप जिस आका से गाइड हो रहे हैं, उनसे भी बात कर लीजिए.
      आज दिन में मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव भी अनशनस्थल पर पहुंचे और अनशनकारियों की स्थिति देखकर चिंता जाहिर की. उन्होंने अनशनकारियों की समस्या विस्तार से सुनी और कहा कि जायज समस्याओं का निराकरण जरूर करवाएंगे. विश्वविद्यालय प्रशासन को जगना ही होगा.
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