मधेपुरा के पहले एमपी किराई मुसहर का परिवार दाने-दाने को मुंहताज: एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: मधेपुरा चुनाव डायरी (75)

|कुमार शंकर सुमन|29 अप्रैल 2014|
भारत में हुए प्रथम आम चुनाव (1952) में मधेपुरा लोकसभा भागलपुर सह पूर्णियां संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था. यह दो सदस्यीय क्षेत्र था और यहाँ से दो प्रतिनिधि चुने जाते थे. एक प्रतिनिधि सामान्य से तो दूसरा सुरक्षित से. प्रथम आम चुनाव में यहाँ से कांग्रेस के अनूपलाल मेहता (सामान्य) तथा सोशलिस्ट पार्टी के किराई मुसहर (सुरक्षित) निर्चाचित हुए थे. मेहता जी पर अवांछित आरोप होने के कारण अदालत न्यायालय द्वारा चुनाव रद्द कर दिया गया. फिर 1955 में उपचुनाव हुए जिसमें किसान मजदूर प्रजा पार्टी के जे० बी० कृपलानी (सामान्य से) और सोशलिस्ट पार्टी के किराई मुसहर (सुरक्षित से) निर्वाचित हुए.
      हालांकि मधेपुरा संसदीय क्षेत्र का अलग अस्तित्व वर्ष 1967 में आया और तब से इस क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बदल गया. कैसे बदला यह समीकरण, इसकी चर्चा तो हम अगले भाग में करेंगे, पर इस भाग में जानिये कौन थे ये किराई मुसहर और कैसा रहा उनका राजनैतिक जीवन?
      किराई मुसहर मधेपुरा जिला के मुरहो गाँव के रहने वाले थे और कहा जाता है कि ये मंडल मसीहा बी.पी. मंडल के परिवार के नौकर थे. वर्ष 1952 में जब भागलपुर सह पूर्णियां (जिसमें मधेपुरा का क्षेत्र शामिल था) के लिए लोकसभा चुनाव हुए तो दो सदस्यीय सीट में एक सामान्य सीट था जिस पर काफी मशक्कत थी और दूसरे सुरक्षित सीट के लिए बी. पी. मंडल ने किराई मुसहर को खड़ा कर दिया था और किराई मुसहर ने पहले लोकसभा चुनाव में मधेपुरा समेत पूरे लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
      एक सादगी पसंद और ईमानदार व्यक्तित्व किराई मुसहर आदर्श सांसद साबित हुए और जनता के प्रति आजीवन जवाबदेह रहे. आज के अधिकाँश नेताओं की तरह खुद की संपत्ति बढाने में उन्होंने कभी भरोसा किया और कहते हैं कि एकबार मुरहो के पास हनुमाननगर में एक सड़क बनाने के लिए उन्होंने अपनी 15 कट्ठा जमीन बेच दी थी. कहा जाता कि उनके सरल व्यवहार के कारण भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू किराई मुसहर को बहुत मानते थे. कहते हैं कि अनपढ़ किराई मुसहर कागजातों पर अंगूठे का निशान लगते थे और इसी वजह से नेहरू का ध्यान उनपर गया था. बी. पी. मंडल के साथ किराई मुसहर को विदेश जाने का भी अवसर प्राप्त हुआ था जहाँ वे अपने को काफी असहज महसूस करते थे.
      जनता के प्रति अपनी जिम्मेवारी को समझ कर श्री मुसहर ने अपने परिवार को ऊपर उठाने का कोई प्रयास नहीं किया क्योंकि उनके लिए पूरे क्षेत्र की जनता ही परिवार के सदस्य जैसा था. साथ ही राजनीति में परिवारवाद से भी किराई ने किनारा बनाकर रखा.

दाने-दाने को मुहताज है परिवार: मधेपुरा के पहले सांसद किराई मुसहर के पुत्र छट्ठू ऋषिदेव और पुतोहू राजलक्ष्मी देवी आज मजदूरी कर पेट चलाने को विवश है. किराई मुसहर के परिवार की सुधि तथाकथित समाजवाद की इस धरती कहे जाने मधेपुरा के किसी नेता ने ठीक से नहीं ली. इसे इस समाज और मधेपुरा की राजनीति का काला चेहरा कहा जा सकता है जहाँ नेतागिरी में सिर्फ सिद्धांत की बड़ी-बड़ी बातें होती है, निगाहें गद्दी हथियाकर खुद और अपने से जुड़े लोगों को मालामाल बनाना होता है. मधेपुरा का इतिहास पलटिए और देखिये कि सांसद तो दूर जो एक बार विधायक बना, जनता के पैसे पर अपनी संपत्ति बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी. 
[Kirai Mushhar- 1st MP of Madhepura]
मधेपुरा के पहले एमपी किराई मुसहर का परिवार दाने-दाने को मुंहताज: एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: मधेपुरा चुनाव डायरी (75) मधेपुरा के पहले एमपी किराई मुसहर का परिवार दाने-दाने को मुंहताज: एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: मधेपुरा चुनाव डायरी (75) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 29, 2014 Rating: 5

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