शिक्षा माफिया फेल, कदाचारमुक्त परीक्षा कराने में प्रशासन फर्स्ट डिवीजन पास

|वि० सं०|21 फरवरी 2014|
जिले भर में इस बार इन्टरमीडिएट की परीक्षा का चेहरा बदला हुआ है. आज की भी परीक्षा कदाचार मुक्त ही रही. हाँ, इक्कादुक्का कमरे के बाहर की तस्वीरें अभी भी कदाचार कराने के प्रयास की आ रही है और कहीं-कहीं हो भी रहे हैं. पर ये बात तय है कि इतनी जल्दी इस रोग को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है, क्योंकि कदाचार मधेपुरा का क्रॉनिक डिजीज है. प्रशासन के प्रयास की जितनी सराहना की जाय, कम है.
      जिले और सूबे में भ्रष्टाचार का इतिहास कई दशक पुराना है. शुरूआती दौर में अच्छे अंक लाने के लिए छात्र खुद से नक़ल करते थे, बाद में अभिभावक भी चींट कराने में लग गए. शिक्षकों के पास पैरवी जाने लगी तो वे इस काम के एवज में रूपये वसूल करने लगे और पटना जाकर कॉपियों पर भी पैरवी करने लगे. शिक्षकों के माध्यम से छात्रों को अच्छे अंक आने लगे तो शिक्षकों का भाव बढ़ने लगा और फिर राष्ट्रनिर्माता राष्ट्र को बर्बाद कर अपने घर नोटों की गड्डियों से भरने लगे. शिक्षा माफिया करोड़ों में खेलने लगे और भरभरा गई बिहार की शिक्षा व्यवस्था. बाहर नौकरी के लिए जाने वाले छात्रों के सर्टिफिकेट का महत्त्व कागज के टुकड़े से ज्यादा कुछ नहीं दिया जाने लगा, तो यहाँ के समृद्ध लोग अपने बच्चों को शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में भेजने लगे. शिक्षा माफियाओं और शिक्षा के ठेकेदारों का दोगला चरित्र उभर कर तब सामने आने लगा जब दूसरों को वे मधेपुरा से एजुकेशन दिलाने लगे और खुद के बच्चों को एजुकेटेड बनाने के लिए पटना-दिल्ली भेजने लगे. निर्लज्ज शिक्षा माफियाओं की करतूत ने मधेपुरा को पूरी दुनियां में शर्मशार कर दिया. छात्रों और अभिभावकों का ऐसा ब्रेनवाश हुआ कि कदाचार रोकने पर वे पढ़ाई में कमी के लिए शिक्षकों को दोषी मानने की बजाय तोड़फोड़ और आगजनी में भरोसा रखने लगे. यानी कुल मिलाकर छात्र शिक्षा ग्रहण करने की बजाय अपराध में शामिल होने लगे.
      मधेपुरा में इस बार 32 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी हैं, जिनमें से आधे से अधिक कदाचार सोच कर आए थे. पर इस बार चोरी चलेगी या नहीं, पहले से कन्फ्यूजन था. पर परीक्षा चलने लगी तो अब उन्हें 440 वोल्ट का झटका लग रहा है. जाहिर सी बात है यदि ठेके के छात्रों की पैरवी कॉपियों की जांच में भी महंगी पड़ी और डीएम गोपाल मीणा कम से कम अगले साल की परीक्षाओं तक रह गए तो मधेपुरा में परीक्षा की सूरत और छात्र-अभिभावकों की सीरत भी बदल सकती है. ऐसी हालत में लाभ मधेपुरा के विकास में मिलेगा. अब बारी है जागने की छात्र-अभिभावक और मधेपुरा के बुद्धिजीवियों को.
शिक्षा माफिया फेल, कदाचारमुक्त परीक्षा कराने में प्रशासन फर्स्ट डिवीजन पास शिक्षा माफिया फेल, कदाचारमुक्त परीक्षा कराने में प्रशासन फर्स्ट डिवीजन पास Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 21, 2014 Rating: 5

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