न बचे कसूरवार-3: अभिलाषा को न्याय दिलाने में पुलिस पड़ी सुस्त

 |राकेश सिंह|19 अक्टूबर 2013|
अभिलाषा की मौत के 19 दिन गुजर चुके और मधेपुरा पुलिस के अनुसंधान में कोई खास प्रगति दिखाई नहीं दे रही है. जिस हत्यारोपी दारोगा द्रवेश कुमार को अभी सलाखों के पीछे रहना था, सूत्रों के मुताबिक़ वह अपने हितैषी पुलिसवालों की ही छत्रछाया में सुरक्षित रह रहा है.
      मृतका के माता-पिता भी पुलिस अनुसंधान की प्रगति से संतुष्ट नहीं हैं. विगत गुरूवार को पिता महेंद्र नारायण यादव पुलिस अधीक्षक के जनता दरबार में भी दारोगा की गिरफ्तारी की मांग का आवेदन लेकर गए थे. उधर मधेपुरा टाइम्स से बात करते हुए बेटी को खो चुके पिता ने कहा कि पुलिस के अनुसंधान पर कैसे भरोसा किया जा सकता है. हत्यारा पुलिस का आदमी है और अभी तक उसकी गिरफ्तारी भी नहीं हुई है. ऐसी स्थिति में मधेपुरा पुलिस फिलहाल भरोसे के लायक नहीं है. मृतका की माँ कहती है कि उसकी जगह कोई आम आदमी रहता तो अभी तक पुलिस उसे जेल भेज चुकी होती. पर उसकी गिरफ्तारी अभी तक नहीं होना क्या ये समझने के लिए काफी नहीं है कि वह प्रशासन का आदमी है इसलिए उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है ?
      कांड के अनुसंधानकर्ता एसआई ललित मोहन सिंह भी द्रवेश की गिरफ्तारी पर गंभीर नहीं दिखते. कहते हैं, गिरफ्तारी होगी. पर जब ये कहा जाता है कि पत्नीहंता इधर मधेपुरा के बाजार में भी देखा गया है तो वे मुस्कुराते हुए उल्टा पूछते हैं कि ये कौन सी बड़ी बात है ?
हत्यारोपी दरोगा की गिरफ्तारी नहीं होना लोगों के मन में ये भावना भर सकती है कि पुलिस जनता के लिए जवाबदेह नहीं है और सिर्फ वे अपने कमाने-खाने के लिए काम कर रही है. वर्तमान परिस्थिति में अभिलाषा को न्याय मिलता दूर नजर आ रहा है, क्योंकि एक पुलिस को दूसरे पुलिस के खिलाफ ही कार्रवाई करनी है. ऐसे में यहाँ ये बात फिट बैठती नजर आ रही है कि-
        शीशे की अदालत में पत्थर की गवाही है,
        हाफिज ही मुहाफिज है, हाफिज ही सिपाही है. (क्रमश:)
न बचे कसूरवार-3: अभिलाषा को न्याय दिलाने में पुलिस पड़ी सुस्त न बचे कसूरवार-3: अभिलाषा को न्याय दिलाने में पुलिस पड़ी सुस्त Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 19, 2013 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.