(19 जनवरी 2013)
बलात्कार के मामले में मधेपुरा जिले में सबसे बदनाम उदाकिशुनगंज थानाक्षेत्र है. ‘मधेपुरा का रेप जोन’ शीर्षक से हम पहले भी इस क्षेत्र की मानसिकता और पुलिस की कार्यशैली पर काफी कुछ बता चुके हैं. अब 15 जनवरी को हुए ताजा दुष्कर्म की घटना को ही लीजिए. लड़की घर से रात्रि के दस बजे शौच के लिए जाती है जब घात लगाये दुष्कर्मियों ने उसे पकड़ लिया और एक घर में ले जाकर उसके साथ जबरदस्ती कर दी. पीडिता के पिता को जब घटना की जानकारी हुई तो उसने पुलिस में तुरंत जाने की बजाय दुष्कर्मी के पिता को कहा कि आपका बेटा गलत किया है. उससे कहा गया कि रूकिये हम देखते हैं और इसी देखने के चक्कर में पीडिता और उसके परिवार तीन दिनों तक इन्तजार करते रहे. पंचायत बैठी तो दुष्कर्मी के पिता ने ग्यारह हजार रूपये देकर मामला रफादफा करना चाहा, पर पीडिता के पिता की मांग थी कि या तो दुष्कर्मी उसकी बेटी से निकाह कर ले या फिर उसकी बेटी का निकाह कहीं और करा दे. पर बात नहीं बनी और मुकदमा दर्ज हो गया.
देखा
जाय तो इस थानाक्षेत्र के कई पिछड़े गांवों में बहुत से लोगों की ऐसी ही मानसिकता
है. लगता है कि यहाँ बलात्कार कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं होता वर्ना पंचायत से ऐसे
संगीन मामलों का निदान करवाने में लोग भरोसा नहीं रखते. पंचायत में यदि बात सुलझ
जाती है तो यहाँ क़ानून की कोई जगह नहीं होती. पिता की मानसिकता देखिये. वो अपनी
बेटी को उसी दुष्कर्मी के साथ भेजने को फिर से तैयार होते हैं. सूत्रों का ये भी
कहना है कि कई बार दुष्कर्मियों से पैसे लेकर पीड़िता के परिवार शान्त हो जाते हैं
जिससे बलात्कारियों का मबोबल ऊँचा रहता है.
सबसे
घटिया स्थिति यहाँ के पुलिस की है. किसी गाँव में बलात्कार हो जाता है और फिर तीन
दिनों के बाद पंचायत भी होती है, पर पुलिस को इस बात की भनक न लगना ये बताता है कि
यहाँ पुलिस का ख़ुफ़िया तंत्र किस किस्म का है. और यदि पुलिस को इस बात की जानकारी
थी तो उसके द्वारा मामला दर्ज नहीं कर पंचायत का इन्तजार करना इस शक को पुख्ता
करने जैसा है कि पुलिस की वर्दी का रंग इन बलात्कारियों के पैसे से ही चमकीला
दीखता है.
(राकेश
सिंह की रिपोर्ट)
बलात्कार का फोलोअप
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 19, 2013
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