तुम कहो तो
इन्हें पन्नो पर.........बिखेर दूँ.......
कुछ 'रंग' जिन्दगी से चुराये है.....तुम्हारे लिए...
तुम कहो तो
जिन्दगी में तुम्हारी.....भर दूँ....
कुछ 'ख्वाब' छुपा लिए अपनी आखों में....तुम्हारे लिए...
तुम कहो तो
तुम्हारी पलकों पर.....रख दूँ
कुछ 'लकीरे' किस्मत से चुराई है....तुम्हारे लिए...
तुम कहो तो
तुम्हारी हथेलियों पर....सजा दूँ .....
कुछ 'लम्हे' संजो कर रखे है.....तुम्हारे लिए
तुम कहो तो
तुम्हारे साथ.......गुजार लूँ.....
कुछ 'राहे' बना ली है.....तुम्हारे लिए...
तुम कहो तो
तुम्हे मंजिल तक.....छोड़ दूँ.....
-सुषमा ‘आहुति’
कानपुर
(यह कविता 'मधेपुरा टुडे' पर भी पोस्ट की गई है. कला-संस्कृति-साहित्य को नए अंदाज में देखने के लिए लॉग-ऑन करें: www.madhepuratoday.com)
तुम कहो तो....!!! ///सुषमा आहुति
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 20, 2013
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