निगरानी विभाग को है निगरानी की सख्त जरूरत (भाग-1)

कुमार अंगद/28/11/2012
बिहार सरकार के निगरानी विभाग को भी निगरानी की है सख्त जरूरत, क्योंकि भ्रष्टाचार से अधिकाँश मामलों में ठोस अथवा सख्त कदम उठाने के बजाय सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर अपने कर्तव्यों का इतिश्री कर देते हैं. परिणामस्वरूप सम्बंधित मामले संचिकाओं में सिमट कर रह जाती है और कुछ मामले को छोड़कर शेष मामलों में सुशासन बाबू के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने से सम्बंधित दावे खोखले साबित हो रहे हैं. बता दें कि सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी एवं दस्तावेजों के आधार पर वित्तीय वर्ष 1999-2000 में कारा प्रशासन आधुनिकीकरण के अंतर्गत मंडल कारा मधेपुरा के सभी बंदी कक्षों की मरम्मति, जलनिकासी प्रणाली के निर्माण, शौचालयों की मरम्मति एवं एक बंदी कक्ष का पुनर्निर्माण कार्यों के लिए सरकार द्वारा प्रदत्त मो० 9 लाख रूपये बगैर कार्य किये ही तत्कालीन कार्यपालक अभियंता भवन प्रमंडल मधेपुरा द्वारा गबन किये जाने से सम्बंधित मामले को बिहार सरकार के निगरानी विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष वर्ष 2009 में ही जांच हेतु प्रस्तुत किया जा चुका है परन्तु आज तक सिवाय पत्राचार के अलावे कोई ठोस कार्यवाही निगरानी विभाग द्वारा नहीं किया गया है जिससे कि मामले से सम्बंधित जांच का नतीजा सामने दीखता और संलिप्तों के हौसले नरम होते. उल्लेखनीय है कि मामले से सम्बंधित वाद निगरानी विभाग में डायरी नं. 890 दिनांक 23 मई 2009 दर्ज है. बतौर उदहारण एक एनी मामले जो रोकड़ पंजी से सम्बंधित प्रावधानों के अनुपालन में उप समाहर्ता, राजस्व प्रमंडल पूर्णियां जल संसाधन विभाग की विफलता एवं आन्तरिक नियंत्रण प्रणाली के अभाव के कारण 70.11 लाख रूपये के गबन की जांच से सम्बंधित मामले को 30 मार्च 2009 को ही निगरानी विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है जिसका डायरी संख्यां .839 दिनांक 17 मई 2009 है , परन्तु यहाँ भी बात पत्राचार तक ही सिमट कर रह गयी. (क्रमश)
निगरानी विभाग को है निगरानी की सख्त जरूरत (भाग-1) निगरानी विभाग को है निगरानी की सख्त जरूरत (भाग-1) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 28, 2012 Rating: 5

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