धर्मस्थल सिंघेश्वर में धर्म के ठेकेदारों ने ही किया पाप ? (भाग:1)

लोगों की श्रद्धा और आस्था के साथ किया धोखा
नि०सं०/07/11/2012
कुछ लोगों का कहना है कि जहाँ जितना धर्म है वहाँ उतना ही पाप है. और इतिहास भी कई मामलों में इस बात का गवाह है कि धर्म के नाम पर धर्म के ठेकेदारों ने लोगों को जितना उल्लू बनाया और लोगों के पैसे को लूटा उतना किसी और ने नहीं. शायद ये भी वजह है कि मंदिरों में अपनी ताजपोशी कराने के लिए बड़े-बड़े तथाकथित धर्म के ठेकेदार लालायित रहते हैं.
            आमदनी के मामले में बिहार का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर सिंघेश्वर स्थान भी इन दिनों विवादों के घेरे में है. आरोप के अनुसार यहाँ रक्षक ही भक्षक बन बैठे और लूट कर बैठ गए उन पैसों को जिन्हें भक्तों ने देवाधिदेव भगवान शंकर की श्रद्दा में यहाँ चढ़ाया था. यानी धर्म की नगरी में धर्म के ठेकेदारों ने ही कर दिया पाप. सिंघेश्वर मंदिर न्यास के पैसों से भर लिया अपना घर.
            सबसे पहले ये जानना जरूरी होगा कि सिंघेश्वर मंदिर न्यास की आमदनी के स्रोत क्या हैं ? न्यास के स्थायी आय के स्रोत हैं मंदिर में चढ़ावा, मुंडन न्योछावर, विवाह न्योछावर, चढ़ावा में दिए गए पाडा एवं बाछा के मूल्य, मवेशी हाट (मंदिर परिसर में), जोत के जमीन के ठीका से, फलकर एवं जलकर, धर्मशाला का भाड़ा, दूकान का भाड़ा, अस्थायी दूकान का भाड़ा, वार्षिक शिवरात्रि मेला एवं विविध.
            बिहार के इस पहले ट्रस्ट का ऑडिट जब वर्ष 2010 में हुआ तो खुलने लगे यहाँ हो रहे गबन के राज. संकेत इस बात के मिले कि वर्ष 1992 से वर्ष 2007-08 तक में ही 10 लाख 13 हजार एक सौ बावन रूपये के गबन किये जा चुके हैं. वर्ष 1992 से 2002 के बीच ही 32 हजार 35 रूपये की पावती ही मंदिर न्यास के कार्यालय में उपलब्ध नहीं थे. इसी तरह वर्ष 2007-08 में 31,734.00 रू० के विपत्र नहीं मिले. पटना से आई जांच टीम ने तो यहाँ तक पाया कि वर्ष 1992-93 से वर्ष 2006-07 के बीच कार्यालय में 1 लाख 39 हजार 6 सौ 58 रूपये के वाउचर अधिक ही उपलब्ध थे. वर्ष 2007-08 तक अधिक वाउचर की राशि 2 लाख 97 हजार 8 सौ 19 रूपये जा पहुंची थी.
            यानी क्या ट्रस्ट के पैसों का किया जा रहा था घोटाला ? ऑडिट रिपोर्ट संख्यां. I.A./Report/STTC (484/2010 H)/85 दिनांक. 27.07.2010 की कड़ी आपत्ति के बाद इसकी जवाबदेही तो निश्चित रूप से पूर्व के रोकड़पाल सह व्यवस्थापक शोभाकांत झा के ऊपर है चूंकि सिंघेश्वर मंदिर ट्रस्ट के आय-व्यय के खर्च का सारा हिसाब रोकड़पाल सह व्यवस्थापक के पास ही रहता है.
            ऐसे में इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद कई सवाल लोगों के जेहन में घूम सकते हैं. क्या धर्म के तथाकथित ठेकेदारों को भगवान का भी भय नहीं है ? पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव की उपस्थिति इस मंदिर में है तो क्या ऐसे में भगवान अपने प्रति आस्था और श्रद्धा रखने वाले भक्तों के विश्वास को कायम रखने के लिए पापियों को सजा नहीं सुनायेंगे ? (क्रमश:)
धर्मस्थल सिंघेश्वर में धर्म के ठेकेदारों ने ही किया पाप ? (भाग:1) धर्मस्थल सिंघेश्वर में धर्म के ठेकेदारों ने ही किया पाप ? (भाग:1) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 07, 2012 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.