बेरोजगारी का आलम:स्वीपर बनने के लिए तैयार हैं सभी वर्ग के लोग

वि० सं०/26 जुलाई 2012
बेरोजगारी की मार ने युवाओं को अपनी मानसिकता बदलने पर मजबूर कर दिया है.स्वीपर का काम जहाँ पहले सिर्फ महादलितों का ही माना जाता था, वहीं अब इस काम को करने के लिए अन्य वर्ग के लोग भी सहर्ष तैयार हैं.व्यवहार न्यायालय मधेपुरा में स्वीपर के लिए निकली वेकेंसी में किये गए आवेदन को देखने से ये बात साफ़ होती है कि अब झाड़ू देने और गन्दा साफ करने के लिए सिर्फ महादलित ही नहीं हैं,बल्कि अन्य जाति और वर्ग के लोग भी न सिर्फ तैयार हैं, बल्कि वे जल्द से जल्द इस नौकरी को पा लेना चाहते हैं.
        बात साफ़ है.सरकार के पास बेरोजगारों के लिए अच्छी नौकरी का अभी भी अभाव है.नियोजन की नौकरी देने के नाम पर युवाओं से दिन भर काम ले लिया जाता है और बदले में चार हजार और छ: हजार की दे दी जाती है नौकरी.ऐसे में कई युवा अब नियोजन की नौकरी से बेहतर सरकारी स्थायी नौकरी को मानते हैं भले ही वो स्वीपर की ही क्यों न हो. यानी अब वो दिन दूर नहीं जब बहुत से लोग अपने बच्चों को स्वीपर बनाने का या तो ख्वाब रखेंगे या फिर उन्हें पढ़ा लिखाकर स्वीपर बनते देख संतोष व्यक्त कर सकेंगे कि चलो बेटा सरकारी स्वीपर भी तो बना.
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