चौसा बीडीओ से सूचना मांगने पर मिलती है धमकी

 राकेश सिंह/24 जुलाई 2012
जिले में भ्रष्टाचार के मामलों में कुछ ज्यादा ही बढोतरी हुई नजर आती है.जिला स्तर पर तो थोड़ा लाज-लिहाज पदाधिकारियों ने रखा है,पर प्रखंड स्तर पर सबकुछ ध्वस्त हुआ लगता है.खासकर सूचना के अधिकार के अधिकारी उड़ा रहे हैं धज्जी.कुछ इसी तरह के गंभीर आरोप लगे हैं चौसा के बीडीओ संजय कुमार पर.प्रखंड के भीखा टोला भटगामा के सदानंद सिंह ने जनवरी 2012 में चौसा के बीडीओ से अरजपुर पश्चिमी के इंदिरा आवास के लाभार्थियों की सूची व साथ में इसी पंचायत के एपीएल व बीपीएल परिवार की सूची मांगी तो चौसा बीडीओ की ओर से कोई सूचना नहीं दी गयी.तीस दिन गुजर जाने के बाद पीड़ित सदानंद सिंह ने सूचना प्राप्त नहीं होने के विरूद्ध अनुमंडलाधिकारी उदाकिशुनगंज के पास इसकी अपील की.एसडीओ ने बीडीओ को सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया तो बीडीओ ने इतने दिनों गुजर जाने के बाद अप्रैल में सदानंद सिंह को एक पत्र निर्गत किया कि एक आवेदन में दो विषयों पर सूचना नहीं दी जायेगी.आप कार्यालय आकर प्रथम विषय पर सूचना प्राप्त करेंगे.सदानंद सिंह उसके बाद कार्यालय के चक्कर लगते रहे,पर नहीं दी गयी उन्हें सूचना.सदानंद सिंह मधेपुरा टाइम्स को बताते हैं कि वे प्रखंड से लेकर जिला तक न्याय के लिए भटकते रहे,पर नतीजा कुछ नहीं निकला.
   हार कर उन्होंने राज्य सूचना आयोग के पास सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 18 के तहत शिकायत पत्र दाखिल किया तो राज्य सूचना आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया और इसी महीने की 16 तारीख को बीडीओ को अपना पक्ष रखने के लिए पटना बुलाया.सदानंद सिंह कहते हैं कि इस बीच उन्हें बीडीओ के गुर्गों द्वारा धमकाया जाने लगा और 15 जुलाई को अपराधियों ने उन्हें घर आकर पटना न जाने को धमकाया.पीड़ित आरोप लगाते हैं कि चूंकि इंदिरा आवास और एपीएल-बीपीएल सूची में बड़ा घोटाला हुआ है इसलिए बीडीओ उन्हें सूचना देना नहीं चाहते हैं.
     दूसरी तरफ चौसा के बीडीओ संजय कुमार मधेपुरा टाइम्स को बताते हैं कि सदानंद सिंह सूचना लेना चाहते ही नहीं हैं.ये कहते हैं कि उन्होंने राज्य सूचना आयोग के पास अपना पक्ष रख दिया है और सूचना की प्रति सदानंद सिंह को रजिस्टर्ड डाक से भेज दिया है.पर इसके जवाब में सदानंद सिंह कहते हैं कि मुझे यदि सूचना नहीं लेना होता तो मैं सूचना दाखिल ही क्यों करता और फिर अपील आदि कर हर जगह क्यों भटकता.वे कहते हैं कि मुझे कोई रजिस्ट्री नहीं मिला है और बीडीओ झूठ कहते हैं कि उन्हें मांगी गयी सूचना रजिस्टर्ड डाक से भेजी गयी है.
     इस पूरे प्रकरण में एक बात तो तय लगती है कि प्रखंड कार्यालय ने पीड़ित के साथ पक्षपात पूर्ण व्यवहार किया है.पीड़ित को चार महीने के बाद यह सूचित करना कि आपको दो में से एक ही विषय पर सूचना दी जायेगी, बीडीओ के हिस्से की लापरवाही दर्शाता है.और राज्य सूचना आयोग के हस्तक्षेप के बाद भी पीड़ित को अब तक सूचना नहीं मिल पाने से ये साफ़ लगता है कि अधिकारी जिले के लोगों की समस्या के प्रति बिलकुल गंभीर नहीं हैं.कहा जा सकता है कि जिले में कई अधिकारियों की करतूत से मधेपुरा जिले का विकास गर्त में जा रहा है.
चौसा बीडीओ से सूचना मांगने पर मिलती है धमकी चौसा बीडीओ से सूचना मांगने पर मिलती है धमकी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 24, 2012 Rating: 5

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