मधेपुरा में आंगनबाड़ी केन्द्र बना मजाक

खिचड़ी को सूंघकर देखते एसडीओ
 रूद्र ना० यादव/१३ मई २०१२
जिला मुख्यालय के शहरी क्षेत्र में आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति बिगड़ी और ये बनकर रह गया है मजाक.किसी केन्द्र पर बच्चे नहीं हैं तो कहीं लटका रहता है ताला.कहीं खिचड़ी के नाम पर 200 ग्राम चावल बनाकर की जाती है खानापूरी तो कहीं नंग-धडंग अवस्था में केन्द्र पर रहते हैं बच्चे.केन्द्रों में नामांकित रहते हैं 40 बच्चे पर किसी-किसी केन्द्र पर एक भी बच्चा नहीं मिलता.मधेपुरा के एसडीओ संजय कुमार निराला ने औचक निरीक्षण के बाद जो खुलासा किया वो चौंका देने वाला है.उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति है काफी खराब.मधेपुरा जिला मुख्यालय स्थित कई आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों के साथ पठन-पाठन तथा अन्य सुविधाओं के नाम पर खिलवाड़ हो रहा है.औचक निरीक्षण में कई केन्द्रों की बदहाली देखकर एसडीओ हैरत में पड़ गए कि आखिर ये बदहाल स्थिति क्यों है?
    केन्द्रों के अगल-बगल के लोग भी मान रहे हैं कि जिला मुख्यालय के कई केन्द्र लूट-खसोट का अड्डा बनकर रह गए हैं.जाहिर सी बात है जब जिला मुख्यालय के आंगनबाड़ी केन्द्रों कि स्थिति इतनी खराब है तो सुदूर ग्रामीण इलाके के आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति का अनुमान स्वत: ही लगाया जा सकता है.
मधेपुरा में आंगनबाड़ी केन्द्र बना मजाक मधेपुरा में आंगनबाड़ी केन्द्र बना मजाक Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 13, 2012 Rating: 5

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